Page 14 - kaushal
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गए रेख, यचनाएॊ, कविताएॊ उनकी अऩनी भौर्रक यचनाएॊ हं तथा उनके बािं को

अऺु्ण यखते हए कहीॊ-कहीॊ अनतसू्भ ऩरयितषन ककए गए हं। आिा है कक हभाये


रफुधॎध अगधकायी/कभषचायी तथा अवम यचनाकाय इसे अवमथा नहीॊ रंगे।

सबी सुगध ऩाठकं से भेया ननिेदन है कक िे इस ऩरिका को औय अगधक

आकर्षक औय ऻानिधॎधषक फनाने के र्रए हभं अऩना अभूक म सुझाि देते यहं ्जससे


ऩरिका को औय ननखाय कय हभ आऩके साभने र्तुत कय सक ं ।





ओभ रकाश त्ररऩाठी,


सहामक ननदेशक (याजबाषा)
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