Page 86 - kaushal
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यह गमी हं तो फस मादं, उस ितत की

चुबते से उन ऩरं की


र्ससकता सा हॉ उन ऩरं को माद कय के

उन सफ को खो कय ...





्वेता क ु भायी,

सहामक अनुबाग अचधकायी




सूज्त


सू्तत का अथष है सुवदय उ्तत अथाषत सुॊदय कथन। सॊ्क र त साहह्म भं धभष,

अध्मा्भ औय भानि जीिन के र्रए उऩमोगी सू्ततमं का बॊडाय रफखया ऩ़ा है। इस


वििार ब्डाय भं से क ु छ सयर जीिनोऩमोगी औय भागषदिषन देने भं सऺभ सू्ततमं


का हहवदी अनुिाद र्तुत ककमा जा यहा है ्जससे सभाज भं ्ि्थ-गचॊतन को फढािा



हदमा जा सके ।


न चौयचामं न रातृरा्मॊ न च बायकायी।


्ममे क ृ ते वधिते एवॊ नन्मॊ वव्माधनॊ सविधनॊरधानभॊ।



वि्मा की रिॊसा कयते हए कहा गमा है कक न तो चोय इसे चुया सकता है, न

इसे फॊधु-फाॊधि फाॊि सकते हं न मह राने-रे जाने भं िजनदाय है। जैसे-जैसे इसे खचष


ककमा जाता है िैसे-िैसे मह फढती जाती है।













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