Page 87 - kaushal
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जूयत है



भुझे जूयत है, ह् मायं, रुिेयं, डकै तं की

आ् चमष भत कयो

तुम् हं बी इव हीॊ की जूयत है


तुभ चुऩ यहे, भंने भाॊग की

भुझे चाहहए, ह् माये-कामय नहीॊ फहादुय


सच का साथ देने िारे ह् मा कयते हए ्जनके हाथ न काॊऩे

भुझे ह् मा कयिानी है - हाॊ


ह् मा कयिानी है

दहेज की, ् िी िोर्ण की

अभानिीमता, दुयाचाय, रट िाचाय की;


ह् मा कयिानी है भुझे

इॊसानी जाभे भं छ ु ऩे िैतान बाि की

है कोई उम् भीदिाय


रुिेये चाहहए भुझे

जो रूि सक ं हभसे

हभायी अकभष् मता, नन्ट िमता


हभाये सॊदेह, बम, कभजोरयमाॊ, फुयाइमाॊ।

डाक ू चाहहए भुझे


जो डार सके डाका

साम् रदानमकता ऩय

हभायी बा् मिाहदता ऩय


हभाये ननयीबभान ऩय






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