Page 85 - kaushal
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वो फचऩन



िो फचऩन का फ्ता िो करभं ऩुयानी


,
िो नभकीन आॉसु िो भु्कयाहि सुहानी
डूफा यहता था सऩनं भं, अऩना सा था साया जहान

कफ़ि ना थी कर की, आज का बी ाभ ना था िहाॉ


तोतरी फातं भं, भासूभ आॉखं भं

कै द था भं भाॉ तेयी प्मायी फाॉहं भं


आजाद साये दुखं से, ऩये साये ाभं से

भाॉ तेये आॉचर ्जतना फ़ा ही था भेया जहान

अफ बी भं तुझसे ही हॉ, तेया ही हॉ ू


ऩय फदर गमा है फाकी सफ

फदर गमा हॉ भं बी आज

खो सी गमी है िो भासूर्भमत


गुभ हो गमा है िो जहान

दूय यहता हॉ अफ तुझसे खुद से ...


सऩनं का फोझ है अफ कवधं ऩय

उम्भीदं का ऩहा़, थक जाता हॉ कई फाय

चरते चरते भु़ कय देखता हॉ ू


कक ककतनी दूय आ गमा हॉ तुभ सफ से

िो फारयि भं बीगना


िो क ु कपी के र्रए योना

िो भेया ्जद कयना औय तुम्हाया झि से भान जाना

जाने कहाॉ चरे गए हं िो रम्हे


खो गए हं कहीॊ, गुभ से हो गए हं



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