Page 93 - kaushal
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भुझे अहभ है कक भं नायी हॊ ू
चाहे तू अऩने अहभ ऩय, ्जतना बी इतयाता है।
भेये दभ से होते हए बी खुद को, भुझसे श्ेटठ होने का एहसास कयाता है।
ु
ऩय भुझे कपय बी औयत होने का, एहसास अॊदय तक गुदगुदाता है।
तमंकक भं सॊयचना हॊ िो ई्िय की, ्जसके दभ ऩे िो मे सॊसाय चराता है।
ू
भं ही देिी, भं ही भाॊ बी,
फहन बी भं, तो ऩ्नी बी भं
कपय न तमं इतयाउॊ।
जफ चाहॊ तफ फन कय चॊडी, खाक भं तुझे र्भरा दूॊ।
ू
अगय र्भरे सम्भान भुझे तो, तुझको र्िखय चढा दूॊ।
तुझे रफगाडा भंने खुद ही।
िा्सकम के गुण से,
तुझे चढामा सय ऩे भंने, अऩना ्िाभी कहके ।
यऺा सूि फाॊधकय तुझको।
यऺक फोध कयामा।
ऩय तूने हय भो़ ऩे भुझको, नायी फोध कयामा।
सभझ र्रमा कभजोय, भेये सफ, अभत ियदानं को।
ु
भान र्रमा खुद को श्ेटठ, यख ताक ऩे भेये, साये ज्फातं को।
उठा र्रमा भैने बी फी़ा।
खुद को हदखराने का।
तमा है भोर जवभ ऩे तेये, भेये एहसानं का
न तू इॊसा, न तू भानि, न तू ऩुूर् कहाता।
अगय न देती जवभ तुझे, तू दुननमा भं न आता।
याचगनी शभाि,
अनुबाग अचधकायी (एआईएस-।।)
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चाहे तू अऩने अहभ ऩय, ्जतना बी इतयाता है।
भेये दभ से होते हए बी खुद को, भुझसे श्ेटठ होने का एहसास कयाता है।
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ऩय भुझे कपय बी औयत होने का, एहसास अॊदय तक गुदगुदाता है।
तमंकक भं सॊयचना हॊ िो ई्िय की, ्जसके दभ ऩे िो मे सॊसाय चराता है।
ू
भं ही देिी, भं ही भाॊ बी,
फहन बी भं, तो ऩ्नी बी भं
कपय न तमं इतयाउॊ।
जफ चाहॊ तफ फन कय चॊडी, खाक भं तुझे र्भरा दूॊ।
ू
अगय र्भरे सम्भान भुझे तो, तुझको र्िखय चढा दूॊ।
तुझे रफगाडा भंने खुद ही।
िा्सकम के गुण से,
तुझे चढामा सय ऩे भंने, अऩना ्िाभी कहके ।
यऺा सूि फाॊधकय तुझको।
यऺक फोध कयामा।
ऩय तूने हय भो़ ऩे भुझको, नायी फोध कयामा।
सभझ र्रमा कभजोय, भेये सफ, अभत ियदानं को।
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भान र्रमा खुद को श्ेटठ, यख ताक ऩे भेये, साये ज्फातं को।
उठा र्रमा भैने बी फी़ा।
खुद को हदखराने का।
तमा है भोर जवभ ऩे तेये, भेये एहसानं का
न तू इॊसा, न तू भानि, न तू ऩुूर् कहाता।
अगय न देती जवभ तुझे, तू दुननमा भं न आता।
याचगनी शभाि,
अनुबाग अचधकायी (एआईएस-।।)
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