Page 98 - kaushal
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ऱकी के जवभ ऩय र्भी आमी की फधाई है ,
ऩय ऱके के जवभ ऩय खुर्िमाॊ अऩाय हं
तबी तो ऱककमं का जीिन जॊजार है,
कहीॊ ऩ्नी तो कहीॊ फह ऩय अ्माचाय है,
ु
सभाज के ठेके दाय भूक ि फेफस राचाय हं
तमा तफ बी अऩनी अवम उऩर्ब्धमं ऩय हभं गिष का अगधकाय है?
गय मह र्सरर्सरा मूॉ ही चरता यहा
कपय तमा होगा भहहराओॊ की सुयऺा ि सम्भान का?
तमा इसके र्रए ्जम्भेदाय आधुननकता की हो़ है
मा कपय हभायी दक़मानूसी सोच है?
ऐसे भं सभाज का तमा सयोकाय है?
आखखय कहाॊ थभता मह अ्माचाय है?
िो तो क ु छ कये जो इसके र्रए ्जम्भेदाय है,
नहीॊ तो हभायी सायी उऩर्ब्धमाॉ फेकाय है
गय हं सुयषऺत फह फेहिमाॉ तबी अऩनी उऩर्ब्धमं ऩय हभं गिष का अगधकाय है।
ु
फीये्र ननषाद “सशवभ”
सहामक अनुबाग अचधकायी (्थाऩना)
्जस बार्ा भं तुरसीदास जैसे कवि ने कविता की हो, िह अि्म ही
ऩविि है औय उसके साभने कोई बार्ा नहीॊ ठहय सकती – भहा्भा गाॊधी
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ऩय ऱके के जवभ ऩय खुर्िमाॊ अऩाय हं
तबी तो ऱककमं का जीिन जॊजार है,
कहीॊ ऩ्नी तो कहीॊ फह ऩय अ्माचाय है,
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सभाज के ठेके दाय भूक ि फेफस राचाय हं
तमा तफ बी अऩनी अवम उऩर्ब्धमं ऩय हभं गिष का अगधकाय है?
गय मह र्सरर्सरा मूॉ ही चरता यहा
कपय तमा होगा भहहराओॊ की सुयऺा ि सम्भान का?
तमा इसके र्रए ्जम्भेदाय आधुननकता की हो़ है
मा कपय हभायी दक़मानूसी सोच है?
ऐसे भं सभाज का तमा सयोकाय है?
आखखय कहाॊ थभता मह अ्माचाय है?
िो तो क ु छ कये जो इसके र्रए ्जम्भेदाय है,
नहीॊ तो हभायी सायी उऩर्ब्धमाॉ फेकाय है
गय हं सुयषऺत फह फेहिमाॉ तबी अऩनी उऩर्ब्धमं ऩय हभं गिष का अगधकाय है।
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फीये्र ननषाद “सशवभ”
सहामक अनुबाग अचधकायी (्थाऩना)
्जस बार्ा भं तुरसीदास जैसे कवि ने कविता की हो, िह अि्म ही
ऩविि है औय उसके साभने कोई बार्ा नहीॊ ठहय सकती – भहा्भा गाॊधी
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