Page 103 - kaushal
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अऩनी भािी अऩना गाॊव
ऐसा रगता है िसुधा ही ननरासवन है।|
चायं ओय िाॊनत का कै सा िाताियण है।
नहीॊ सुनाई देता िोयगुर ककसी बी घय भं।
िाॊनत का ऩायािाय हहरोय यहा घय–घय भं।
कहीॊ मे िहयी अनुक ू र तो न भुझभं है
यही न अफ जीिन की जो सही सभझ है।
आज है कै सा मह अभत सॊमोग र्भरा।
ु
जीिन का ऐसा एक अनोखा मोग र्भरा।
इन गाॊिाॊचर भं भं आज देख जो ऩाता हॊ।
ू
संचता हॊ औय भन ही भन ररचाता हॊ।
ू
ू
विबाियी ने पै रा हदमा तभ का सागय।
नब भं रहयाती तायं की चभकीरी चादय।
दूय गगन भं तीव्र अधॎधष–चॊर चभक यहा है।
नघया हआ चहहदि तायं सा दीख यहा है।
ु
ु
फह यही फमाय उ़ यही प ू रं की बीनी भहक।
तु की प ु गनी ऩय अफ ऩॊऺी नहीॊ यहे चहक।
िर्ं न यहा इस राक र नतक सुर्भा का आबास।
तमंकक फदर अफ गमा था भेया रब्फो-रुफाफ।
फयसं ऩहरे भं खेरा-क ू दा इन फागं भं।
आज अऩरयगचत फन फैठा इन ठिं से।
अनजान रग यहे रोग महाॊ की आफोहिा।
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ऐसा रगता है िसुधा ही ननरासवन है।|
चायं ओय िाॊनत का कै सा िाताियण है।
नहीॊ सुनाई देता िोयगुर ककसी बी घय भं।
िाॊनत का ऩायािाय हहरोय यहा घय–घय भं।
कहीॊ मे िहयी अनुक ू र तो न भुझभं है
यही न अफ जीिन की जो सही सभझ है।
आज है कै सा मह अभत सॊमोग र्भरा।
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जीिन का ऐसा एक अनोखा मोग र्भरा।
इन गाॊिाॊचर भं भं आज देख जो ऩाता हॊ।
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संचता हॊ औय भन ही भन ररचाता हॊ।
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विबाियी ने पै रा हदमा तभ का सागय।
नब भं रहयाती तायं की चभकीरी चादय।
दूय गगन भं तीव्र अधॎधष–चॊर चभक यहा है।
नघया हआ चहहदि तायं सा दीख यहा है।
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फह यही फमाय उ़ यही प ू रं की बीनी भहक।
तु की प ु गनी ऩय अफ ऩॊऺी नहीॊ यहे चहक।
िर्ं न यहा इस राक र नतक सुर्भा का आबास।
तमंकक फदर अफ गमा था भेया रब्फो-रुफाफ।
फयसं ऩहरे भं खेरा-क ू दा इन फागं भं।
आज अऩरयगचत फन फैठा इन ठिं से।
अनजान रग यहे रोग महाॊ की आफोहिा।
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