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कदठन फहत है नायी होना




कहठन फहत है नायी होना,

ननटठ ु य ननदषम इस जग भं,

सीता सभ सुक ु भायी होना,

फेिी को िो ऩारे कै से,

ननधषन की राचायी होना,

धभषयाज मुगध्टठय हाथं,

बयी सबा भं हायी होना,

देियाज की काभ वऩऩासा,

ऩ्थय की कपय नायी होना,

खखरजी यािण से फचने को,

जौहय भं अॊगायी होना।

िेखय को खरता है ऩग-ऩग,

औयत को फेचायी होना।

कहठन फहत है नायी होना।।



दीऩ ’शेखय’ ससॊहर

अनुबाग अचधकायी, डाक ववबाग,

डाक बवन, नई दद्री





देि के विर्बवन बागं के ननिार्समं के ्मिहाय के र्रए सिषसुगभ औय


्माऩक तथा एकता ्थावऩत कयने के साधन के ूऩ भं हहॊदी का ऻान

आि्मक है – सी. ऩी. याभा्वाभी अय्मय










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