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फदरते कायवाॊ




उ् तुॊग हहभ श्रखराओॊ के भध्म,

फसा है भेया प्माया गाॊि।

अठखेर्रमाॊ कयती नदी, नारे मे झयने,


गगन चूभते फाॊज, फुयाॊस, देिदाय।

सीढीनुभा खेत खर्रहान,

रहरहाते भडुिा, आरू औय धान।


आॊगन भं गचड़मं का चहकना,

धुॊधुती की सुयीरी ऩुकाय।


कहीॊ भेरे तीज ्मौहायं के यॊग,

सजीरे यॊग-रफयॊगे ऩहने ऩरयधान।


होरी भं होकमायं का ह़दॊग,

ढोरक, भॊजीये, फाजं के सॊग।

चाचयी, वमौरी गीत गाते,


वऩऩयी, ह़का, तूयी की धुन।

भाॊ ऩािषती की मह ऩािन बूर्भ,

देिबूर्भ धयती का ्िगष।


फु्मारं भं दुरषब और्गधमाॊ,

ननभषर ऩािन ्ि्छ फमाय।

सीभा रहयी की ऩहरी ऩॊ्तत हं हभ,


देि सेिा भं अरणी हं हभ।

इन िौमष औय खुर्िमं के यॊगं भं,


एक फेफसी आई है नजय।

इन खूफसूयत िाहदमं भं,



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