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कय यहे थे। उनके ऩास एक िेइॊग भिीन (तयाजू) बी थी। श्ी कदभ को क ु छ सभझ

नहीॊ आमा कक मे तमा हो यहा है।


उवहंने िहाॊ जाकय एक विदेिी नागरयक से आखखय ऩूछ ही र्रमा कक तमा

भाभरा है- "आऩ रोग सुफह-सुफह सैय कयने के फजाम महाॊ रोधी गाडषन भं कचया

फीन यहे हं औय कपय बाग कय महाॊ इकठे हए। महाॊ कोई आऩका सभम नोि कय


यहा है साथ ही साथ एक तयाजू बी महाॊ हं। आखखय मे सफ तमा हो यहा है। "

उस विदेिी नागरयक ने श्ी कदभ को फतामा कक िे रोग ्िीडडि दूतािास


से हं तथा िे सफ र्भरकय आज "सैफ़ाथन" खेर यहे हं। श्ी कदभ को क ु छ सभझ

नहीॊ आमा कक िो तमा फोर यहे हं। उवहंने कपय से ऩूछा कक क र ऩमा कयके ्ऩटि

ूऩ भं सभझाएॊ। उस ्िीडडि नागरयक ने कपय से उवहं ्ऩटि ूऩ भं सभझामा


कक िे रोग आज "सैफ़ाथन" मानन कक "सपाई की भैयाथन" खेर यहे हं। सैफ़ाथन

िब्द सपाई तथा भैयाथन से र्भर कय फना है ्जसका अथष है कक भैयाथन के


साथ-साथ सपाई अर्बमान भं बी स्म्भर्रत होना। इस खेर का भकसद रोगं को

खेर-खेर भं सपाई के रनत जागूक फनाना है। इस खेर के दौयान सबी

रनतबागगमं को एक येस ऩूयी कयनी होती है जो कक भैयाथन की तयह ही होती है।


इसके आरािा इस येस भं सबी रनतबागगमं को एक-एक क ू ़े का फैग बी हदमा

जाता है ्जसभं उवहं अऩनी येस के या्ते भं ऩ़े क ू ़े को बी उठाना होता है। जो

रनतबागी कभ से कभ सभम भं मह येस ऩूयी कयता है तथा अऩने साथ ्मादा से


्मादा क ू ़ा उठा कय उस फैग भं राता है उसे विजमी घोवर्त ककमा जाता है। इस

येस का भु्म उद्दे्म सपाई के रनत जागूकता फढाना है। इसी नमी येस को


"सैफ़ाथन" का नाभ हदमा गमा है। ऐसी येस को ककसी ऩाकष मा भोहकरे मा कहीॊ की

बी सपाई भं भदद कयने के र्रए रमोग भं रामा जा सकता हं। साथ ही साथ

रोगं की सपाई के रनत जागूकता फढाने भं इससे भदद र्भरती है।


इतने वि्ताय से सैफ़ाथन के फाये भं सुनकय श्ी कदभ कापी रबावित हए

तथा भन ही भन भु्क ु याने रगे। उवहं एक नमी उम्भीद जो र्भर गई थी अऩने



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