Page 32 - kaushal
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आते। घय के काभं भं अऩनी ऩ्नी का हाथ फॉिाते औय कपय तैमाय होकय सभम से
दफ्तय के र्रए ननकर जाते। दफ्तय नजदीक होने के कायण उवहं सुफह के ितत
घय के काभं भं अऩनी ऩ्नी की भदद कयने का ितत र्भर जाता था।।
सिेये एक हदन रोधी गाडषन भं सैय कयते हए अचानक श्ी कदभ ने देखा कक
ु
एक विदेिी नागरयक अऩने कॊ धे ऩय एक क ू ़े का फैग र्रए बाग यहा था। इस
कायण उवहं थो़ा आ्चमष हआ रेककन कपय िे अऩनी सैय भं रग गए। थो़ा औय
ु
आगे चरने ऩय उवहं क ु छ औय रोग र्भरे ्जवहंने अऩने कॊ धे ऩय एक-एक क ू ़े का
फैग रिका यखा था। उवहं मे देख कापी आ्चमष हआ औय िो सोचने रगे कक
ु
सुफह सुफह कौन ऩाकष भं ऐसे क ू ़े के फैग रेकय बागता है। भजे की फात तो मे थी
कक िे साये विदेिी नागरयक थे जो कक महीॊ ऩास के ककसी दूतािास से योजाना सैय
कयने महाॉ आते थे। रेककन श्ी कदभ ने ऩहरे कबी उनऩय ध्मान नहीॊ हदमा था।
िो तो अचानक इस तयीके से क ू ़े के फैग रेकय बागने ऩय उनऩय सबी का ध्मान
चरा गमा।
श्ी कदभ को उ्सुकता हई औय िो देखने रगे कक आखखय मे रोग सुफह-
ु
सुफह क ू ़े के फैग रेकय ऩाकष भं तमा कयने आमे हं। उवहंने देखा कक हय ्म्तत
्जस के ऩास फैग था िो नीचे ऩ़ा कागज मा ऩॉर्रथीन का िुक़ा उठाता तथा
अऩने फैग भं डार देता। उवहं मे थो़ा अिऩिा रगा तमंकक मे काभ तो क ू ़ा
फीनने िारे रोग कयते ही हं। अत: धैमष के साथ िे उनकी गनतविगध को देखने
रगे। आगे उवहंने देखा कक हय कोई ्मादा से ्मादा क ू ़ा अऩने फैग भं डारना
चाहता था। िो जकदी जकदी अऩने फैग भं क ू ़ा बय कय आगे की ओय बाग यहे थे।
श्ी कदभ को क ु छ सभझ नहीॊ आमा। िे उनके ऩीछे-ऩीछे जाने रगे ताकक उनसे
ऩूछ ही रं कक मे तमा हो यहा है। क ु छ दूयी ऩय उवहंने देखा कक सफरोग ्जनके
ऩास फैग थे िो इकठे हो गए हं। सफने अऩने-अऩने फैग अऩने कॊ धे से उताय कय
नीचे यखे औय याहत की साॊस री। जहाॉ िे रोग एकि हए थे िहाॊ ऩहरे से 2
ु
्म्तत भौजूद थे जो कक एक कागज ऩय उनके गॊत्म तक ऩहॊचने का सभम नोि
ु
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दफ्तय के र्रए ननकर जाते। दफ्तय नजदीक होने के कायण उवहं सुफह के ितत
घय के काभं भं अऩनी ऩ्नी की भदद कयने का ितत र्भर जाता था।।
सिेये एक हदन रोधी गाडषन भं सैय कयते हए अचानक श्ी कदभ ने देखा कक
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एक विदेिी नागरयक अऩने कॊ धे ऩय एक क ू ़े का फैग र्रए बाग यहा था। इस
कायण उवहं थो़ा आ्चमष हआ रेककन कपय िे अऩनी सैय भं रग गए। थो़ा औय
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आगे चरने ऩय उवहं क ु छ औय रोग र्भरे ्जवहंने अऩने कॊ धे ऩय एक-एक क ू ़े का
फैग रिका यखा था। उवहं मे देख कापी आ्चमष हआ औय िो सोचने रगे कक
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सुफह सुफह कौन ऩाकष भं ऐसे क ू ़े के फैग रेकय बागता है। भजे की फात तो मे थी
कक िे साये विदेिी नागरयक थे जो कक महीॊ ऩास के ककसी दूतािास से योजाना सैय
कयने महाॉ आते थे। रेककन श्ी कदभ ने ऩहरे कबी उनऩय ध्मान नहीॊ हदमा था।
िो तो अचानक इस तयीके से क ू ़े के फैग रेकय बागने ऩय उनऩय सबी का ध्मान
चरा गमा।
श्ी कदभ को उ्सुकता हई औय िो देखने रगे कक आखखय मे रोग सुफह-
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सुफह क ू ़े के फैग रेकय ऩाकष भं तमा कयने आमे हं। उवहंने देखा कक हय ्म्तत
्जस के ऩास फैग था िो नीचे ऩ़ा कागज मा ऩॉर्रथीन का िुक़ा उठाता तथा
अऩने फैग भं डार देता। उवहं मे थो़ा अिऩिा रगा तमंकक मे काभ तो क ू ़ा
फीनने िारे रोग कयते ही हं। अत: धैमष के साथ िे उनकी गनतविगध को देखने
रगे। आगे उवहंने देखा कक हय कोई ्मादा से ्मादा क ू ़ा अऩने फैग भं डारना
चाहता था। िो जकदी जकदी अऩने फैग भं क ू ़ा बय कय आगे की ओय बाग यहे थे।
श्ी कदभ को क ु छ सभझ नहीॊ आमा। िे उनके ऩीछे-ऩीछे जाने रगे ताकक उनसे
ऩूछ ही रं कक मे तमा हो यहा है। क ु छ दूयी ऩय उवहंने देखा कक सफरोग ्जनके
ऩास फैग थे िो इकठे हो गए हं। सफने अऩने-अऩने फैग अऩने कॊ धे से उताय कय
नीचे यखे औय याहत की साॊस री। जहाॉ िे रोग एकि हए थे िहाॊ ऩहरे से 2
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्म्तत भौजूद थे जो कक एक कागज ऩय उनके गॊत्म तक ऩहॊचने का सभम नोि
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