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दफ्तय के रोगं को सपाई के रनत जागूक कयने के र्रए तथा उवहं रेरयत कयने

के र्रए। उस हदन श्ी कदभ रोधी गाडषन से सैय कय िाऩस आमे औय जकदी जकदी


अऩने दफ्तय जाने के र्रए तैमाय होने रगे।




भमॊक यावत,

सहामक अनुबाग अचधकायी







ऩरयबाषा



1. दह्दी भं रवीणता –ककसी कभषचायी क े फाये भं मह सभझा जाएगा कक उसे हहवदी

भं रिीणता राप्त है महद उसने -



(क) भैहरक ऩयीऺा मा उसके सभकऺ मा उससे उ्चतय कोई ऩयीऺा हहवदी को

भाध्मभ क े ूऩ भं अऩनाकय उ्तीणष की है; अथिा



(ख) ्नातक ऩयीऺा भं अथिा ्नातक ऩयीऺा क े सभकऺ मा उससे उ्चतय ककसी

अवम ऩयीऺा भं हहवदी को उसने एक िैक्कऩक विर्म क े ूऩ भं र्रमा था; अथिा



(ग) िह मह घोर्णा कयता है कक उसे हहवदी भं रिीणता राप्त है।























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