Page 39 - kaushal
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ऩुूषस्ताक बायत भहास्ता फन ऩाएगा
राचीन मुग से ही नायी को ि्तत के ूऩ भं ऩूजा जाता है। ्िी का सहबाग
िायीरयक उऩबोग की ृटिी से ही नहीॊ फ्कक उससे बी अ्मॊत भह्िऩूणष ूऩ से
भौजूद था। ऩूिष िैहदक कार भं ््िमाॊ र्िषऺत थी। उवहं र्िऺा रा्प्त की ्ितॊिता
भौजूद थी। उवहे उनका ्िमॊिय यचना का अगधकाय था। िे अऩनी भजी से जीिन
साथी चुन सकती थी। ््िमं को याजदयफाय भं पै सरा रेने का अगधकाय बी था।
जफ बायत ऩय विदेिी आिभण का रबाि अगधक फढने रगा तबी से भहहराओॊ के
अ््त्ि ऩय र्न उठने रगे। तबी से ््िमाॊ जो की नायी देिता की उऩभा थी िह
अफ जौहय-रथा, ऩदाष रथा, सती रथा, औय देिदासी रथा भं कै द हो गई। इसी रथा
भं सीर्भत यहने िारी मह ््िमाॊ के िर सभाज की ऩयॊऩया ि यीनत-रयिाज भं
उरझकय यह गं। िहीॊ दूसयी औय इस देि की भातरबूर्भ भं कई िीयाॊगनाओॊ ने
नायी ि्तत के साभथष को रदर्िषत ककमा है। ्जवहं इनतहास उनकी िौमषता औय
िीयता की र्भसार देता है। जैसे कक य्जमा सुकतान जो हदकरी सकतनत ऩय याज
कयने िारी ऩहरी भहहरा िासक थी। िहीॊ बायत के ्ितॊिता सॊराभ भं नायी
ि्तत के सहबाग से कई आॊदोरन सपर हए जैसे की सविनम अिऻा आॊदोरन,
ु
दाॊडी मािा, बायत छो़ो आहद आॊदोरन भं बायतीम नायी भहा्भा गाॊधी के साथ
यणसॊराभ भं खडी हई थीॊ। बायत देि भं भनु्भरनत के रबाि से ््िमाॊ फॊधनं भं
ु
कै द हो गई तथा उनकी ्ितॊिता छीन री गमी। कबी बायत की सॊ्क र नत भं
अऩना मोगदान देने िारी भहहरा कफ ऩुूर्ं के अधीन हो गमी ऩता बी नहीॊ चरा।
््िमं के अ््त्ि की ऩरयबार्ा को फदरने का रमास अनेक रोगं ने ककमा औय
्िी ि्तत को उजागय कयने िारं भं सफसे ऩहरा नाभ सावििी फाई प ु रे का
आता है। उवहंने ऩनत ्मोनतफा प ु रे के साथ र्भरकय ऱककमं के र्रए ऩहरी
ऩाठिारा सन 1848 भं ्थावऩत की तथा िे बायत की ऩहरी ्िी र्िषऺका फनी
तथा तबी से आज तक जो ्िी का अ््त्ि फ़े-फ़े ऩदं ऩय नाभाॊककत है। के िर
सावििी फाई प ू रे के कायण जहाॊ हभ इॊहदया गाॊधी, ककयण फेदी, रनतबा ऩाहिर, भेयी
कोभ आहद फ़े-फ़े ्िी ्म्तत्ि का नाभ रेते हं। के िर सॊविधान के भौर्रक
अगधकायं के रा्प्त के कायण सॊबि हो सका। इसका श्ेम डॉ. फाफा साहेफ अॊफेडकय
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राचीन मुग से ही नायी को ि्तत के ूऩ भं ऩूजा जाता है। ्िी का सहबाग
िायीरयक उऩबोग की ृटिी से ही नहीॊ फ्कक उससे बी अ्मॊत भह्िऩूणष ूऩ से
भौजूद था। ऩूिष िैहदक कार भं ््िमाॊ र्िषऺत थी। उवहं र्िऺा रा्प्त की ्ितॊिता
भौजूद थी। उवहे उनका ्िमॊिय यचना का अगधकाय था। िे अऩनी भजी से जीिन
साथी चुन सकती थी। ््िमं को याजदयफाय भं पै सरा रेने का अगधकाय बी था।
जफ बायत ऩय विदेिी आिभण का रबाि अगधक फढने रगा तबी से भहहराओॊ के
अ््त्ि ऩय र्न उठने रगे। तबी से ््िमाॊ जो की नायी देिता की उऩभा थी िह
अफ जौहय-रथा, ऩदाष रथा, सती रथा, औय देिदासी रथा भं कै द हो गई। इसी रथा
भं सीर्भत यहने िारी मह ््िमाॊ के िर सभाज की ऩयॊऩया ि यीनत-रयिाज भं
उरझकय यह गं। िहीॊ दूसयी औय इस देि की भातरबूर्भ भं कई िीयाॊगनाओॊ ने
नायी ि्तत के साभथष को रदर्िषत ककमा है। ्जवहं इनतहास उनकी िौमषता औय
िीयता की र्भसार देता है। जैसे कक य्जमा सुकतान जो हदकरी सकतनत ऩय याज
कयने िारी ऩहरी भहहरा िासक थी। िहीॊ बायत के ्ितॊिता सॊराभ भं नायी
ि्तत के सहबाग से कई आॊदोरन सपर हए जैसे की सविनम अिऻा आॊदोरन,
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दाॊडी मािा, बायत छो़ो आहद आॊदोरन भं बायतीम नायी भहा्भा गाॊधी के साथ
यणसॊराभ भं खडी हई थीॊ। बायत देि भं भनु्भरनत के रबाि से ््िमाॊ फॊधनं भं
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कै द हो गई तथा उनकी ्ितॊिता छीन री गमी। कबी बायत की सॊ्क र नत भं
अऩना मोगदान देने िारी भहहरा कफ ऩुूर्ं के अधीन हो गमी ऩता बी नहीॊ चरा।
््िमं के अ््त्ि की ऩरयबार्ा को फदरने का रमास अनेक रोगं ने ककमा औय
्िी ि्तत को उजागय कयने िारं भं सफसे ऩहरा नाभ सावििी फाई प ु रे का
आता है। उवहंने ऩनत ्मोनतफा प ु रे के साथ र्भरकय ऱककमं के र्रए ऩहरी
ऩाठिारा सन 1848 भं ्थावऩत की तथा िे बायत की ऩहरी ्िी र्िषऺका फनी
तथा तबी से आज तक जो ्िी का अ््त्ि फ़े-फ़े ऩदं ऩय नाभाॊककत है। के िर
सावििी फाई प ू रे के कायण जहाॊ हभ इॊहदया गाॊधी, ककयण फेदी, रनतबा ऩाहिर, भेयी
कोभ आहद फ़े-फ़े ्िी ्म्तत्ि का नाभ रेते हं। के िर सॊविधान के भौर्रक
अगधकायं के रा्प्त के कायण सॊबि हो सका। इसका श्ेम डॉ. फाफा साहेफ अॊफेडकय
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