Page 42 - kaushal
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र्िऺा के सहाये अऩना जीिन उ्जिर कयने का

ितत आ गमा।



भोनारी रभोद भेराभ,


सहामक, इसयो, फॊ्रोय






सूज्त


काक चे्ठा फको ्मानॊ ्वान ननरा तथैवच।

अ्ऩाहायी गृह्मागी वव्माथी ऩॊचरऺणभ।।



वि्माथी के ऩाॊच रऺण फताए गए हं। वि्मागथषमं भं इन गुणं का सभािेि होना

आि्मक है अथाषत उसे कौए के सभान, िीर औय सकिम होकय अऩना काभ कयना


चाहहएऔय फगुरे के सभान ऩूया ध्मान के ्वरत कय अऩना अध्ममन कयना चाहहए।

उसे क ु ्ते के सभान कभ सोना चाहहए जागने भं आर्म नहीॊ कयना चाहहए एिॊ

कभ बोजन कयना चाहहए तथा उसभं घय के रनत आस्तत नहीॊ होना चाहहए।


अर्म क ु तो वव्मा, अवव्म्म क ु तो धनभ ् ।

अधन्म क ु तो सभरभ, असभर्म क ु तो सुखभ ् ।



आरसी ्म्तत को वि्मा राप्त नहीॊ होती, वि्मायहहत ्म्तत को धन की रा्प्त

नहीॊ होती। धन न होने ऩय ननधषन का कोई र्भि नहीॊ होता औय र्भियहहत ्म्तत


को सुख नहीॊ र्भरता।










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