Page 27 - kaushal
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नहीॊ आमा हॉ। भुझे मह िातम सचभुच फ़ा फर देता है। वियाि र्भा्ड ननकाम,
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कोहि–कोहि नऺिं का अ््नभम आितष–नर्म, अनॊत िूवम भं ननयॊतय उभमभान
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औय विनािभान नीहारयकाऩुॊज वि्भमकायी है, ऩय उनसे अगधक वि्भमकायी है
भनुटम जो नग्म ्थान कार भं यहकय इनकी नाऩ-जोख कयने ननकर ऩ़ा है।
तमा मह भनुटम की अभोघ जममािा नहीॊ है? तमा मह इस फात का रभाण नहीॊ है
कक सभ्त गरनतमं के फािजूद भनुटम भनुटमता की उ्चतय अर्ब्म्ततमं की
ओय ही फढ यहा है? "भनुटम के साभथमष भं अिूि वि्िास है ्वििेदी जी को औय
एक नग्म तरण अॊक ु य से उसकी आजतक की मािा को ही िे उसकी जम मािा का
नाभ देते हं। आयम्ब से रेकय आज तक की अऩनी इस अखॊड औय अनियत मािा
भं भनुटम ने अनेक फाधाओॊ का साभना ककमा है रेककन उन फाधाओॊ से डयकय मा
हाय भानकय उसने अऩनी मािा को वियाभ नहीॊ हदमा ियन उनऩय विजम राप्त
कयके ऩुन् आगे फढ चरा है — "भनुटम थका है, ऩय ुका नहीॊ है। िह फढता ही जा
यहा है। इनतहास के अििेर् उसकी विजम–मािा के ऩद गच्न हंI िैिारी के खॊडहय
फताते हं कक भनुटम कबी विजम मािा के उकरास भं भ्त हो कय चरा था, ऩय
उसे फाधाओॊ के आगे झुकना ऩ़ा। िह दूसयी ओय भु़ गमा। ुका नहीॊ, हाया नहीॊ,
भया नहीॊ। इनतहास उन भो़ं की कहानी सुनाता है, उन फाधाओॊ का ूऩ हदखाता है,
भनुटम की दुदषभ जममािा की कथा कहा जाता है।"
्वििेदी जी के ननफॊध साहह्म भं भानि- एक साभावम, सॊघर्षयत भानि अऩने
गुण औय दोर्ं सहहत वि्मभान है औय उनका मह ्ऩटि भत है कक साहह्म–
सरजन का र्म भानि औय उसके क र ्मं का अनुिीरन हो, मही श्ेम्कय है। उनका
भॊत्म है कक भनुटम होना देिता होने से ्मादा कहठन है। ऩयरोक सुधायने की
गचॊता भं दुफरे होने के फजाम आज के भानि का र्म "इसी रोक भं, इसी भ्मष –
कामा के बीतय सभूची भानि जानत को नाना रकाय के अबािं से भुतत कयके
सुखी औय सुसॊ्क र त फनाना है। "ितषभान सभम भं वि्ि बय भं पै रा अनाचाय,
िोर्ण, बेदबाि एिॊ भनुटम-भनुटम के फीच का आऩसी सॊघर्ष ्वििेदी जी को थो़ा
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कोहि–कोहि नऺिं का अ््नभम आितष–नर्म, अनॊत िूवम भं ननयॊतय उभमभान
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औय विनािभान नीहारयकाऩुॊज वि्भमकायी है, ऩय उनसे अगधक वि्भमकायी है
भनुटम जो नग्म ्थान कार भं यहकय इनकी नाऩ-जोख कयने ननकर ऩ़ा है।
तमा मह भनुटम की अभोघ जममािा नहीॊ है? तमा मह इस फात का रभाण नहीॊ है
कक सभ्त गरनतमं के फािजूद भनुटम भनुटमता की उ्चतय अर्ब्म्ततमं की
ओय ही फढ यहा है? "भनुटम के साभथमष भं अिूि वि्िास है ्वििेदी जी को औय
एक नग्म तरण अॊक ु य से उसकी आजतक की मािा को ही िे उसकी जम मािा का
नाभ देते हं। आयम्ब से रेकय आज तक की अऩनी इस अखॊड औय अनियत मािा
भं भनुटम ने अनेक फाधाओॊ का साभना ककमा है रेककन उन फाधाओॊ से डयकय मा
हाय भानकय उसने अऩनी मािा को वियाभ नहीॊ हदमा ियन उनऩय विजम राप्त
कयके ऩुन् आगे फढ चरा है — "भनुटम थका है, ऩय ुका नहीॊ है। िह फढता ही जा
यहा है। इनतहास के अििेर् उसकी विजम–मािा के ऩद गच्न हंI िैिारी के खॊडहय
फताते हं कक भनुटम कबी विजम मािा के उकरास भं भ्त हो कय चरा था, ऩय
उसे फाधाओॊ के आगे झुकना ऩ़ा। िह दूसयी ओय भु़ गमा। ुका नहीॊ, हाया नहीॊ,
भया नहीॊ। इनतहास उन भो़ं की कहानी सुनाता है, उन फाधाओॊ का ूऩ हदखाता है,
भनुटम की दुदषभ जममािा की कथा कहा जाता है।"
्वििेदी जी के ननफॊध साहह्म भं भानि- एक साभावम, सॊघर्षयत भानि अऩने
गुण औय दोर्ं सहहत वि्मभान है औय उनका मह ्ऩटि भत है कक साहह्म–
सरजन का र्म भानि औय उसके क र ्मं का अनुिीरन हो, मही श्ेम्कय है। उनका
भॊत्म है कक भनुटम होना देिता होने से ्मादा कहठन है। ऩयरोक सुधायने की
गचॊता भं दुफरे होने के फजाम आज के भानि का र्म "इसी रोक भं, इसी भ्मष –
कामा के बीतय सभूची भानि जानत को नाना रकाय के अबािं से भुतत कयके
सुखी औय सुसॊ्क र त फनाना है। "ितषभान सभम भं वि्ि बय भं पै रा अनाचाय,
िोर्ण, बेदबाि एिॊ भनुटम-भनुटम के फीच का आऩसी सॊघर्ष ्वििेदी जी को थो़ा
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