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रेह-रदाख का सपयनाभा



रेह-रद्दाख का नाभ जहन भं आते ही ियीय भं एक सनसनी सी दौ़ जाती है।

हदकरी की हार-फेहार कय देने िारी गभी से छ ु िकाया ऩाने के र्रए हय िर्ष गभी


की छ ु हिमं भं घूभने की मोजना फनती यहती है, ्जसभं फेिे की ओय से रेह-रद्दाख

का र्ताि िीर्ष ऩय यहता। ऩय न जाने तमं भं ही डय के भाये उसके र्ताि को

खारयज कय देती। ककवतु अचानक सेना भं कामषयत बाई की ऩो््िॊग रेह आ जाने


से हदर को सुक ू न र्भरा औय इस िर्ष फेिे के र्ताि एिॊ बाई के फायम्फाय आरह

को भं िार न सकी। भेये हाॊ कहते ही घय भं चहर-ऩहर, खुर्िमं औय तैमारयमं का

भाहौर फन गमा। रफहिमा बी हैदयाफाद से आ गई। भं ्िमॊ मू-्मूफ ऩय िीडडमो


देख-देखकय भानर्सक ूऩ से तैमाय होने रगी। दयअसर ऑतसीजन की कभी के

कायण अफ तक दफ्तय से गए कई र्भिं की ्िा्थम सॊफॊधी सभ्माओॊ को

सुनकय भन भं एक डय सा फैठ गमा था। क ु छ िर्ष ऩहरे र्स्तकभ के नाथूरा ऩास


जाने ऩय ्िमॊ भुझे ऐसी सभ्मा से जूझना ऩ़ा था। रेह तो औय बी ऊॊ चाई ऩय

््थत है। खैय ऩनतदेि की हहदामत अनुसाय भंने ननमर्भत ूऩ से िहरना औय


थो़ा मोग एिॊ राणामाभ को अऩनी ्म्त हदनचमाष का हह्सा फनाना आयॊब

ककमा। मह काभ इतना सहज न था कपय बी क ु छ न क ु छ कय ऩाने से फेहतय था।

सीहढमं ऩय चढ-चढकय अिैगचमं से गभष कऩ़े, जैकि, िोऩी, ्ििेय आहद ननकारे गए


औय ऩैकक ॊ ग िुू हई। हफ्ता दय हफ्ता कै से फीता औय देखते ही देखते 2 जून,

2018 का तम सभम आ गमा। बोय की ही हभायी हिाई मािा थी, अत् यारि भं


नीॊद का र्न ही न था। भंने खख़की की सीि से ऩहा़ं की चोहिमं को ननहाया

भानो ककसी ने कयीने से नतयऩार रफछा यखी हो। फादरं की अठखेर्रमं का आनॊद

रेते हए िीर ही हभाया रेह के क ु िोक ्माक ु रा रयभऩोची हिाई अ्डे ऩय आगभन

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हआ। कहाॊ 45 C की बाय झेरते हए हभ आए औय कहाॊ 15 C की सदष हिाएॊ


हठठ ु यन का एहसास कयाने रगी। भंने तुयॊत सुिके स से जैकि ननकार ऩहनना



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