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यखते हं, अत् ्मूिन भा्िय के खचष को िहन नही कय सकते। ऐसे भं इसकी

्जम्भेदायी बी भाॊ ऩय अऩने आऩ आ गमी थी।

इन सफ के फािजूद ्क ू र भुझे फहत आकवर्षत कयता है। इसका कायण भेये

दो्त हो सकते हं। हभ सफ धभा-चौक़ी भचामे यहते हं। ्क ू र भैदान हभाया

सिषवरम ्थान होता है तमंकक तरास कबी सभझ नहीॊ आई। हाराॊकक ्क ू र भं भेये

दो्त कभ ही फन ऩाए हं, ्जसका कायण भेयी ऩारयिारयक ऩरटठबूर्भ हो सकती है

तमंकक भेयी कऺा भं ऩढने िारे अगधकाॊि फ्चे पयाषिेदाय अॊरेजी के र्छेदाय

िब् दं का रमोग कयते हं जो कक भेयी खोऩडी के उऩय से ऐसे ननकरता है कक भानो
िे्ि भैच का कोई भॊझा हआ फैिभैन ककसी फाउॊसय फोर को डक ककमा हो। भेये

अध्माऩक ने इस फात को कई फाय सॊऻान भं र्रमा तबी तो भेये भाता-वऩता को

्क ू र फुरामा गमा था। ऩय भेये अर्बबािक क ु छ सभझ ऩाते, इससे ऩहरे ही उवहं

कोई अ्छा सा ्मूिय रगाने को फोर हदमा गमा। ऩरयणाभत् भेयी भाताजी को

वऩताश्ी ि दादी जी की डाि अरग सुननी ऩ़ी कक तमा ऩढाती हो, तुभ फ्चे को

नहीॊ ऩढा सकती, तुभ कय ही तमा सकती हो! भेये खेर के सभम से बी किौती कय

दी गई, ऩय इससे भेयी ऩढाई भं कोई वििेर् अॊतय तो आमा नहीॊ।

भं मे सफ सोच ही यह था कक एक झिके के साथ फस ूकी औय कॊ डतिय

की आिाज भेये कानं से िकयाई- फाफू जी आज घय नहीॊ जाना तमा? यात फस भं

ही गुजायनी है? फस तो ्िॉऩ तक आ गई थी ऩय िामद भं नहीॊ। आज भं उन

गहयाइमं तक ऩहॊच गमा जहाॊ आज तक नहीॊ ऩहॊचा था। दुननमाॊ कहाॊ से कहाॊ


ऩहॊच गई। आज भहहरा डातिय, इॊजीननमय, ऩिकारयता, अॊतरयऺ, राध्माऩक औय महाॊ

तक कक याटराध्मऺ तक अऩना ऩयचभ पहया यही हं िहीॊ दूसयी ओय िे आज बी

िहीॊ हं जो कर थी। िे अऩने आऩ को चूकहे चौके से आगे देखती ही नहीॊ मा

सभाज उवहं देखने नहीॊ देता ।


फीये्र ननषाद

सहा॰ अनु॰ अचध॰ (्था॰)









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