Page 22 - kaushal
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आचामष ्वििेदी की मह ्ऩटि धायणा है कक भनुटमता की यऺा के र्रए

साभा्जकता का आियण अननिामष है— "अऩने भं सफ औय सफ भं आऩ इस रकाय


की सभ्टि फुवधॎध जफ तक नहीॊ आती, तफ तक ऩूणष सुख का आनॊद नहीॊ र्भरता।

"दीऩािरी : साभा्जक भॊगरे्छा का ऩिष नाभक ननफॊध भं उवहंने मही रनतऩाहदत

ककमा है। उनका ृढ वि्िास है कक दीिारी का मह उ्सि सॊऩूणष सभाज की


सभरवधॎध की काभना से रेरयत होने के कायण ही रगबग ढाई हजाय िर्ं से

अरनतहत ूऩ से भनामा जा यहा है, तमंकक इसके भूर भं ककसी एक ्म्तत की


नहीॊ ऩूये सभाज के ककमाण की िुबािॊसा ननहहत है – "दीिारी मह सवदेि रेकय

आ यही है कक ्म्तत भनुटम की इ्छा बी न्िय है, रम्न बी न्िय है; ककवतु

साभा्जक भनुटम की इ्छा बी अभय है औय रम्न बी अभय होगा औय इस


सभ्टि भानि के ककमाण के र्रए, उसकी भॊगरे्छा की ऩूनतष के र्रए आि्मक है

कक ्म्ततगत हहतं का उ्सगष कय हदमा जाए। अऩने आऩको दर्रत राऺा की


बाॊनत ननचो़कय जफ तक 'सिष' के र्रए ननछािय नहीॊ कय हदमा जाता तफ तक

्िाथष खॊड–स्म है, िह भोह को फढािा देता है, तरटणा को उ्ऩवन कयता है औय

भनुटम को दमनीम-क र ऩण फना देता है।"


सर्टि की धाया को अऩने ऩुुर्ाथष से भनोनुक ू र हदिा की ओय भो़ देने का

साभथमष के िर भनुटम भं ही है। ्वििेदी जी का भॊत्म है कक धभष, सॊरदाम, िगष

औय जानत के विबेदं को दयककनाय कयते हए र्सपष औय र्सपष भनुटम के हहत,


उसके ककमाण की बािना को क ं र भं यखते हए सरजन कयना ही स्चे साहह्मकाय

का दानम्ि है। साहह्म बी िही अऺम है जो भनुटम को योग, िोक, दारयरम औय


ऩयभुखाऩेषऺता की बािना से भुतत कये, उसके भन भं आ्भफर का सॊचाय कये।

िही ऻान श्ेम्कय है जो साभावम जन को भनुटमता के उ्चतय र्म की ओय

रेरयत कये। िे र्रखते हं कक "रेभ फ़ी ि्तु है, ्माग फ़ी ि्तु है औय भनुटम को


भनुटमता की ओय रे जाने िारा ऻान बी फ़ी ि्तु है।"






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