Page 26 - kaushal
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भानते हं रेककन इवहीॊ भं अॊनतभ स्म ननहहत है, इस धायणा का वियोध कयते हं –
"भनोविऻान, राणी वि्मा औय ऩदाथष विऻान का अध्ममन हभ अि्म कयं, ऩयॊतु
नन््चत सभझं कक मे िा्ि भनुटम की अभत फुवधॎध के कण-भाि हं। मे ही सफ
ु
क ु छ नहीॊ हं। भनुटम इनसे फ़ा है। "इसीर्रए िे साहह्म को इस रकाय ऩरयबावर्त
कयते हं – "साये भानि सभाज को सुॊदय फनाने की साधना का ही नाभ साहह्म है।"
'िसुधैि क ु िुम्फकभ' के र्सधॎधाॊत ऩय आधरत बायतीम सॊ्क र नत के अनवम
उऩासक आचामष ्वििेदी बी सॊऩूणष भानिता को एक सूि भं रगथत भानते हं।
उनका कहना है कक जानत, धभष, देि सॊरदाम आहद भं विबाजन भाि ऊऩयी है,
हदखािा भाि है। िा्तविकता मह है कक इन सभ्त फा्म विबेदं के अॊतयार भं
भनुटम एक है इसर्रए अफ हभं आि्मकता है एक उदाय भानितािादी ृ्टिकोण
की, जो उसे जीिन के उ्चतभ र्म की ओय अरसय कय सके , एक सॊऩूणष भानि
के ूऩ भं विकर्सत होने भं उसकी रेयणा फन सके – "भनुटम एक है औय इसीर्रए
भूर भानि-धभष बी एक है। मह इस मुग की आि्मकता नहीॊ है, कक ॊ तु मुग का
अनुबूत स्म है। "अत् आज जुयत इस फात की है कक "हभ भनुटम की भूर
एकता को ्िीकाय कयं औय उस वििार भानितािादी ृ्टि को अऩनाएॊ जो सभर
भनुटम जानत को साभूहहक ूऩ से नाना रकाय की क ु र्िऺा, क ु सॊ्काय औय अबािं
के फॊधन से भुतत कयके उसे जीिन की उ्चतय चरयताथषता की ओय रे जाने का
रमास कय यही है।"
्वििेदी जी ने अऩने ननफॊधं के भाध्मभ से भनुटम की जममािा की गाथा
सुनाई है। मह भनुटम की जममािा तमा है? मह र्न उठना ्िाबाविक है औय
्वििेदी जी इसका ्ऩटिीकयण इस रकाय देते हं – "भनुटम की जममािा! तमा
भनुटम ने ककसी अजातििु को ऩया्त कयने के र्रए अऩना दुधॎधषय यथ जोता है?
भनुटम की जममािा, तमा जान-फूझकय रोकगच्त को ्माभोहहत कयने के र्रए िह
ऩहरे ही जैसा िातम फनामा गमा है। भनुटम की जममािा का तमा अथष हो सकता
है? ऩयॊतु भं ऩाठकं को ककसी रकाय के िब्द जार भं उरझाने का सॊककऩ रेकय
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"भनोविऻान, राणी वि्मा औय ऩदाथष विऻान का अध्ममन हभ अि्म कयं, ऩयॊतु
नन््चत सभझं कक मे िा्ि भनुटम की अभत फुवधॎध के कण-भाि हं। मे ही सफ
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क ु छ नहीॊ हं। भनुटम इनसे फ़ा है। "इसीर्रए िे साहह्म को इस रकाय ऩरयबावर्त
कयते हं – "साये भानि सभाज को सुॊदय फनाने की साधना का ही नाभ साहह्म है।"
'िसुधैि क ु िुम्फकभ' के र्सधॎधाॊत ऩय आधरत बायतीम सॊ्क र नत के अनवम
उऩासक आचामष ्वििेदी बी सॊऩूणष भानिता को एक सूि भं रगथत भानते हं।
उनका कहना है कक जानत, धभष, देि सॊरदाम आहद भं विबाजन भाि ऊऩयी है,
हदखािा भाि है। िा्तविकता मह है कक इन सभ्त फा्म विबेदं के अॊतयार भं
भनुटम एक है इसर्रए अफ हभं आि्मकता है एक उदाय भानितािादी ृ्टिकोण
की, जो उसे जीिन के उ्चतभ र्म की ओय अरसय कय सके , एक सॊऩूणष भानि
के ूऩ भं विकर्सत होने भं उसकी रेयणा फन सके – "भनुटम एक है औय इसीर्रए
भूर भानि-धभष बी एक है। मह इस मुग की आि्मकता नहीॊ है, कक ॊ तु मुग का
अनुबूत स्म है। "अत् आज जुयत इस फात की है कक "हभ भनुटम की भूर
एकता को ्िीकाय कयं औय उस वििार भानितािादी ृ्टि को अऩनाएॊ जो सभर
भनुटम जानत को साभूहहक ूऩ से नाना रकाय की क ु र्िऺा, क ु सॊ्काय औय अबािं
के फॊधन से भुतत कयके उसे जीिन की उ्चतय चरयताथषता की ओय रे जाने का
रमास कय यही है।"
्वििेदी जी ने अऩने ननफॊधं के भाध्मभ से भनुटम की जममािा की गाथा
सुनाई है। मह भनुटम की जममािा तमा है? मह र्न उठना ्िाबाविक है औय
्वििेदी जी इसका ्ऩटिीकयण इस रकाय देते हं – "भनुटम की जममािा! तमा
भनुटम ने ककसी अजातििु को ऩया्त कयने के र्रए अऩना दुधॎधषय यथ जोता है?
भनुटम की जममािा, तमा जान-फूझकय रोकगच्त को ्माभोहहत कयने के र्रए िह
ऩहरे ही जैसा िातम फनामा गमा है। भनुटम की जममािा का तमा अथष हो सकता
है? ऩयॊतु भं ऩाठकं को ककसी रकाय के िब्द जार भं उरझाने का सॊककऩ रेकय
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