Page 49 - kaushal
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भं थी कक जागते यहं औय घ़ी-घ़ी ऩानी के घूॊि रेते यहं। अॊतत् रेह-रद्दाख की
सफसे ऊॊ ची जगह खायदुॊगरा ऩास ऩहॊचे, ऐसा रगा भानो कोई फहत फ़ी जॊग जीत
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री हो। सभुरी तर से 18,380 पीि ऊॊ ची इस जगह का ताऩभान 7 C था। फपष से
ढकी ऩहाड़मं को देख हभ वि््भत थे, अहराहदत थे। ियीय को बेद देने िारी ठॊड
होने के फािजूद क ु छ त्िीयं रे ऩाने भं हभ सपर थे। जहाॊ ऩमषिकं को आधे घॊिे
से अगधक सभम न ूकने की सराह दी जाती है, कायण तरफमत खयाफ होने, चतकय
आहद की आिॊका फनी यहती है। इतने कभ सभम भं, ऐसी विर्भ ऩरय््थनत का
साभना कय हभं र्समाचीन ऩय तैनात पौजी बाइमं के ज्फं का एहसास हआ औय
ु
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उन ऩय पर हआ। जो 50 C के ताऩभान भं देि के रनत अऩनी जान वमौछािय
ु
कयने को त्ऩय हं। िाऩसी भं हभने डड््कि भोना्री भं भैिेई फुधॎध के दिषन ककए।
आठ ककरो सोने से फनी 32 प ू ि ऊॊ ची फुधॎध की अरनतभ रनतभा ्मोक नदी की
तयप भुॊह ककए हए ख़ी है। अगरा ऩ़ाि हॊडय था, जो नुरा िैरी भं ््थत है। इस
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घािी को ठॊडा येगग्तान कहा जाता है। गगनचुम्फी ऩिषत श्रॊखरा के फीच ठॊडा
फरुिाऺेि। महाॊ ऩाए जाने िारे ऊॊ ि को ‘फैतरीमन कै भर’ कहा जाता है, ्जसके दो
क ू फ़ होते हं औय ियीय ऩय घने फार, जो उवहं बीर्ण ठॊड से फचाते हं। येत के ऊॊ चे
िीरं के फीच इस घािी का भु्म आकर्षण ऊॊ ि की सिायी है, ्जसका हभने बी
आनॊद र्रमा। इस रजानत के ऊॊ ि बायत भं र्सपष इसी ्थान ऩय ऩाए जाते हं। रॊफी
मािा ऩ्चात यात हभ खकसय भं ूके औय रफ्तय ऩय जो गगय तो सीधे सुफह ही
आॊख खुरी।
मािा का ऩाॊचिाॊ हदन अ्मॊत योभाॊचक था। हो बी तमं न, ऩंगाॊग रेक हभाया
गॊत्म था। खकसय से ऩंगाॊग तक का सपय फहत ही खूफसूयत है। ऩूयी रेह-रद्दाख
ु
की मािा भं भुझे सफसे ्मादा योभाॊच इसी सपय भं हआ। कदभ-कदभ ऩय रक र नत
ु
अऩना ्िूऩ फदर यही थी, घाहिमं के फीच इतयाती, फरखाती नहदमाॊ, खुफानी के
हये-बये खेत, ऊॊ चे-ऊॊ चे ऩहा़, ठॊडी फमाय औय गा़ी भं यपी साहफ के गाने एक अरग
ही सभाॊ फाॊध यहे थे। ऩिषत श्रॊखराओॊ ऩय रार औय ऩीरे गुराफं की झा़ आॊखं
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सफसे ऊॊ ची जगह खायदुॊगरा ऩास ऩहॊचे, ऐसा रगा भानो कोई फहत फ़ी जॊग जीत
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री हो। सभुरी तर से 18,380 पीि ऊॊ ची इस जगह का ताऩभान 7 C था। फपष से
ढकी ऩहाड़मं को देख हभ वि््भत थे, अहराहदत थे। ियीय को बेद देने िारी ठॊड
होने के फािजूद क ु छ त्िीयं रे ऩाने भं हभ सपर थे। जहाॊ ऩमषिकं को आधे घॊिे
से अगधक सभम न ूकने की सराह दी जाती है, कायण तरफमत खयाफ होने, चतकय
आहद की आिॊका फनी यहती है। इतने कभ सभम भं, ऐसी विर्भ ऩरय््थनत का
साभना कय हभं र्समाचीन ऩय तैनात पौजी बाइमं के ज्फं का एहसास हआ औय
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उन ऩय पर हआ। जो 50 C के ताऩभान भं देि के रनत अऩनी जान वमौछािय
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कयने को त्ऩय हं। िाऩसी भं हभने डड््कि भोना्री भं भैिेई फुधॎध के दिषन ककए।
आठ ककरो सोने से फनी 32 प ू ि ऊॊ ची फुधॎध की अरनतभ रनतभा ्मोक नदी की
तयप भुॊह ककए हए ख़ी है। अगरा ऩ़ाि हॊडय था, जो नुरा िैरी भं ््थत है। इस
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घािी को ठॊडा येगग्तान कहा जाता है। गगनचुम्फी ऩिषत श्रॊखरा के फीच ठॊडा
फरुिाऺेि। महाॊ ऩाए जाने िारे ऊॊ ि को ‘फैतरीमन कै भर’ कहा जाता है, ्जसके दो
क ू फ़ होते हं औय ियीय ऩय घने फार, जो उवहं बीर्ण ठॊड से फचाते हं। येत के ऊॊ चे
िीरं के फीच इस घािी का भु्म आकर्षण ऊॊ ि की सिायी है, ्जसका हभने बी
आनॊद र्रमा। इस रजानत के ऊॊ ि बायत भं र्सपष इसी ्थान ऩय ऩाए जाते हं। रॊफी
मािा ऩ्चात यात हभ खकसय भं ूके औय रफ्तय ऩय जो गगय तो सीधे सुफह ही
आॊख खुरी।
मािा का ऩाॊचिाॊ हदन अ्मॊत योभाॊचक था। हो बी तमं न, ऩंगाॊग रेक हभाया
गॊत्म था। खकसय से ऩंगाॊग तक का सपय फहत ही खूफसूयत है। ऩूयी रेह-रद्दाख
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की मािा भं भुझे सफसे ्मादा योभाॊच इसी सपय भं हआ। कदभ-कदभ ऩय रक र नत
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अऩना ्िूऩ फदर यही थी, घाहिमं के फीच इतयाती, फरखाती नहदमाॊ, खुफानी के
हये-बये खेत, ऊॊ चे-ऊॊ चे ऩहा़, ठॊडी फमाय औय गा़ी भं यपी साहफ के गाने एक अरग
ही सभाॊ फाॊध यहे थे। ऩिषत श्रॊखराओॊ ऩय रार औय ऩीरे गुराफं की झा़ आॊखं
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