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भारा, आकर्षक सजाििी भूनतषमाॊ, ऩ्भीना िॉर, खुफानी, अखयोि, फादाभ, के सय

खयीदते िाभ ढर चुकी थी, साथ ही ठॊड बी अऩने चयभ ऩय ऩहॊच चुकी थी। गे्ि


हाऊस ऩहॊच कय याहत भहसूस हई। इन आठ हदनं भं रेह-रद्दाख की धयती से हभं


रगाि हो चुका था एिॊ ियीय बी ऩूयी तयह िहाॊ के भौसभ अनुक ू र ढर चुका था।

कक ॊ तु रौिना तो था ही, अत् बाई, बाबी एिॊ फ्चं के साथ भधुय ्भरनतमाॊ सॊजोए,


नभ आॊखं से सफसे विदा रे हभ िाऩस हदकरी आ गए।



डॉ. अॊजू ससॊह,

सहामक ननदेशक,


डी-II/12, ऩूसा क ं ऩस,

ऩूसा, नई दद्री

वऩन- 110012














याटरीम एकता की क़ी हहॊदी ही जो़ सकती है - फारकटण िभाष निीन




















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