Page 53 - kaushal
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आतॊकवाद की सभ्मा औय सभाधान
वि्ि के अगधकाॊि देिं भं रोकताॊरिक िासन ्मि्था को ्िीकाय ककमा गमा है।
अराहहभ र्रॊकन ने कहा था कक " रोकतॊर जनता का , जनता ्वाया औय जनता के
सरए शासन ्मव्था है "। इसभं नागरयकं के भूर अगधकायं के सॊयऺण की
रबािकायी ्मि्था सुनन््चत होती है एिॊ ककमाणकायी या्म की सॊककऩना
ननहहत होती है।
सैधॎधाॊनतक ूऩ से रोकतॊि भं सभाज के हय ्म्तत/िगष को विकास के सभान
अिसय/राब सुरब कयाने का दानम्ि ननहहत होता है रेककन ्मािहारयक ूऩ भं
देखा गमा है कक देि, कार एिॊ ऩरय््थनतमं भं विसॊगनतमं के कायण सभाज के
हय ्म्तत/िगष के र्रए एक सभान ूऩ भं सॊसाधन उऩरब्ध नहीॊ हो ऩाते हं,
्जसके ऩरयणाभ्िूऩ सभाज के क ु छ रोग/िगष अर्िऺा, गयीफी एिॊ अवम कायणं
से अवम ्म्ततमं/िगं की तुरना भं वऩछ़ जाते हं औय विकास के राब से
रगाताय कई ऩीहढमं तक िॊगचत यह जाते हं। इन िॊगचत िगं भं धीये-धीये िासन
्मि्था के रनत असॊतोर् की बािना उ्ऩवन होने रगती है औय इसके खखराप
आिाज फुरॊद कयने रगते हं। िुूआत भं मह सॊघर्ष आभ तौय ऩय अहहॊसक होता है
रेककन महद इस ऩय रॊफे सभम तक िासन ्िाया सॊिेदनिीरता नहीॊ हदखाई जाती
है तो मह सॊघर्ष हहॊसक ूऩ अ््तमाय कय रेता है जो एक ्िाबाविक भानिीम
भनोिर््त है तमंकक कहा जाता है कक "जफ तक फ्चा योता नहीॊ है, तफ तक भाॊ
बी दूध नहीॊ वऩराती है"।
जफ सभाज का कोई िगष अऩनी भाॊगं को भनिाने के र्रए हहॊसा का सहाया
रेता है तो इसे आतॊकिाद कहा जा सकता है। आतॊकिाद कानून ्मि्था का
भाभरा नहीॊ है ्जसे सयकायी रनतहहॊसा मा सुयऺा फरं के फर रमोग से सुरझामा
जा सके फ्कक इसके ्माऩक साभा्जक, आगथषक एिॊ याजनीनतक आमाभ होते हं।
आतॊकिादी अऩने ककसी ्म्ततगत पामदे के र्रमे आतॊकिाद का या्ता नहीॊ
अऩनाता है फ्कक उसका ककसी विचायधाया/िगष के रनत सभऩषण (कर्भिभंि) होता
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वि्ि के अगधकाॊि देिं भं रोकताॊरिक िासन ्मि्था को ्िीकाय ककमा गमा है।
अराहहभ र्रॊकन ने कहा था कक " रोकतॊर जनता का , जनता ्वाया औय जनता के
सरए शासन ्मव्था है "। इसभं नागरयकं के भूर अगधकायं के सॊयऺण की
रबािकायी ्मि्था सुनन््चत होती है एिॊ ककमाणकायी या्म की सॊककऩना
ननहहत होती है।
सैधॎधाॊनतक ूऩ से रोकतॊि भं सभाज के हय ्म्तत/िगष को विकास के सभान
अिसय/राब सुरब कयाने का दानम्ि ननहहत होता है रेककन ्मािहारयक ूऩ भं
देखा गमा है कक देि, कार एिॊ ऩरय््थनतमं भं विसॊगनतमं के कायण सभाज के
हय ्म्तत/िगष के र्रए एक सभान ूऩ भं सॊसाधन उऩरब्ध नहीॊ हो ऩाते हं,
्जसके ऩरयणाभ्िूऩ सभाज के क ु छ रोग/िगष अर्िऺा, गयीफी एिॊ अवम कायणं
से अवम ्म्ततमं/िगं की तुरना भं वऩछ़ जाते हं औय विकास के राब से
रगाताय कई ऩीहढमं तक िॊगचत यह जाते हं। इन िॊगचत िगं भं धीये-धीये िासन
्मि्था के रनत असॊतोर् की बािना उ्ऩवन होने रगती है औय इसके खखराप
आिाज फुरॊद कयने रगते हं। िुूआत भं मह सॊघर्ष आभ तौय ऩय अहहॊसक होता है
रेककन महद इस ऩय रॊफे सभम तक िासन ्िाया सॊिेदनिीरता नहीॊ हदखाई जाती
है तो मह सॊघर्ष हहॊसक ूऩ अ््तमाय कय रेता है जो एक ्िाबाविक भानिीम
भनोिर््त है तमंकक कहा जाता है कक "जफ तक फ्चा योता नहीॊ है, तफ तक भाॊ
बी दूध नहीॊ वऩराती है"।
जफ सभाज का कोई िगष अऩनी भाॊगं को भनिाने के र्रए हहॊसा का सहाया
रेता है तो इसे आतॊकिाद कहा जा सकता है। आतॊकिाद कानून ्मि्था का
भाभरा नहीॊ है ्जसे सयकायी रनतहहॊसा मा सुयऺा फरं के फर रमोग से सुरझामा
जा सके फ्कक इसके ्माऩक साभा्जक, आगथषक एिॊ याजनीनतक आमाभ होते हं।
आतॊकिादी अऩने ककसी ्म्ततगत पामदे के र्रमे आतॊकिाद का या्ता नहीॊ
अऩनाता है फ्कक उसका ककसी विचायधाया/िगष के रनत सभऩषण (कर्भिभंि) होता
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