Page 57 - kaushal
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ऩ़ सकता है। र्रहाजा, उवहंने इस सम्बािना ऩय विचाय ककमा कक तमा
अॊिाकष हिका के हहभ ख्डं को सभुर भं फहा कय अयफ राम्िीऩ रामा जा सकता
है, ताकक ऩेम जर का अकार दूय ककमा जा सके । कायोफारयमं ने उवहं सभझामा कक
मह झभेरा खारा जी का घय नहीॊ है। इस काभभं खचष बी फहत आएगा। जो बी
ु
हो, तेर धनी अयफ इतना खचष फदाष्त कयने के र्रए तैमाय हो गए। रेककन इसके
फाद ऩमाषियणविद साभने आ गए। उवहंने कहा की इससे सभ्त वि्ि के
ऩमाषियण की अथाह हानन होगी। उनकी फात सफने ्िीकाय कय री, औय भाभरे को
सदा के र्रए िहीँ अयफ सागय भं डार हदमा। इधय अयफ बी हाय भानने िारे न
थे। उवहंने क ु छ औय िोध कयिामा औय ऩामा कक उनके राम्िीऩ का कापी फ़ा
बाग सभुर तर से नीचा है। फस कपय एक सुनहयी ्मार उनके भन भं
भुभरयगचका की बाॊनत भॊडयाने रगा। तमा अयफ सागय के जर को राम्िीऩ भं
उरीच कय भुबूर्भ को हरयमारा फनामा जा सकता है? रेककन महाॉ बी बूविऻानी
ऩहॉच गए औय चेतामा कक अगय अयफसागय से जर ननकार र्रमा, तो क ु छ ऺेिं,
ु
जो अफ फॊदयगाह िगैया है, से जर फहत दूय चरा जामेगा औय िे उज़ जामंगे।
ु
आऩ ने देखा होगा कक वि्ि भं सबी रभुख सभ्मताएॊ नहदमं के ककनाये
परी-प ू री हं। र्भस्र की सभ्मता को नीर नदी की देन कहा जाता है। हभाये देि
की राचीन सभ्मता का तो नाभ ही र्सॊधु घािी की सभ्मता है। हभ जफ बी अऩने
देि के संदमष का िणषन कयते हं, तो सिष रथभ उसकी नहदमं, झीरं, हहभ-
आ्छाहदत ऩिषत र्िखयं, औय रयभखझभ फयसते सािन की फात कयते हं। वि्ि भं
सिाषगधक िर्ाष िारा ्थान तथा सफसे सघन िनं िारा ऺेि, दोनं ही हभाये देि भं
है। इतने वि्तरत औय विविध जर सॊसाधनं के होते हए बी आज हभाये देि भं
ु
ऩेम जर की कककरत है। मकीनन इसका कायण जर की कभी नहीॊ हो सकती।
इसकी िजह जर सॊसाधनं का सही रफवधन नहीॊ होना है। ऩानी के भह््ि को
हभाये देि भं, अनाहद कार ही से फखूफी भाना गमा है। अगधकतय राचीन नगय
नहदमं के ककनाये परे प ू रे हं। िायाणसी नगय, जो वि्ि के राचीनतभ नगयं भं
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अॊिाकष हिका के हहभ ख्डं को सभुर भं फहा कय अयफ राम्िीऩ रामा जा सकता
है, ताकक ऩेम जर का अकार दूय ककमा जा सके । कायोफारयमं ने उवहं सभझामा कक
मह झभेरा खारा जी का घय नहीॊ है। इस काभभं खचष बी फहत आएगा। जो बी
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हो, तेर धनी अयफ इतना खचष फदाष्त कयने के र्रए तैमाय हो गए। रेककन इसके
फाद ऩमाषियणविद साभने आ गए। उवहंने कहा की इससे सभ्त वि्ि के
ऩमाषियण की अथाह हानन होगी। उनकी फात सफने ्िीकाय कय री, औय भाभरे को
सदा के र्रए िहीँ अयफ सागय भं डार हदमा। इधय अयफ बी हाय भानने िारे न
थे। उवहंने क ु छ औय िोध कयिामा औय ऩामा कक उनके राम्िीऩ का कापी फ़ा
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भुभरयगचका की बाॊनत भॊडयाने रगा। तमा अयफ सागय के जर को राम्िीऩ भं
उरीच कय भुबूर्भ को हरयमारा फनामा जा सकता है? रेककन महाॉ बी बूविऻानी
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जो अफ फॊदयगाह िगैया है, से जर फहत दूय चरा जामेगा औय िे उज़ जामंगे।
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आऩ ने देखा होगा कक वि्ि भं सबी रभुख सभ्मताएॊ नहदमं के ककनाये
परी-प ू री हं। र्भस्र की सभ्मता को नीर नदी की देन कहा जाता है। हभाये देि
की राचीन सभ्मता का तो नाभ ही र्सॊधु घािी की सभ्मता है। हभ जफ बी अऩने
देि के संदमष का िणषन कयते हं, तो सिष रथभ उसकी नहदमं, झीरं, हहभ-
आ्छाहदत ऩिषत र्िखयं, औय रयभखझभ फयसते सािन की फात कयते हं। वि्ि भं
सिाषगधक िर्ाष िारा ्थान तथा सफसे सघन िनं िारा ऺेि, दोनं ही हभाये देि भं
है। इतने वि्तरत औय विविध जर सॊसाधनं के होते हए बी आज हभाये देि भं
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ऩेम जर की कककरत है। मकीनन इसका कायण जर की कभी नहीॊ हो सकती।
इसकी िजह जर सॊसाधनं का सही रफवधन नहीॊ होना है। ऩानी के भह््ि को
हभाये देि भं, अनाहद कार ही से फखूफी भाना गमा है। अगधकतय राचीन नगय
नहदमं के ककनाये परे प ू रे हं। िायाणसी नगय, जो वि्ि के राचीनतभ नगयं भं
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