Page 60 - kaushal
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ऩानी फ्ती की ओय फहने की फजाम खेतं की ओय जाए। ताराफं के ऩीछे कोई
फहत फ़ा दिषन काभ नहीॊ कयता है। फस िही साधायण सी फुवधॎधभ्ता, कक सभम
ु
ऩय चीजं का सॊरह कय रं, ताकक आि्मकता के सभम िे सुरब हो सक ं । जफ
पसर आती है, घय भं अवन आता है, िर्ष बय के उऩमोग के र्रए उसका सॊरह कय
र्रमा जाता है। भहीने के आखखयी हदन तन्िाह आती है। उसे सभूचे भहीने के
खचष के र्रए सम्बार कय यख र्रमा जाता है। हभ सफ जानते हं, की हभं जर के
र्रए रक र नत ऩय ननबषय यहना ऩ़ता है। िह तीन-चाय भहीने तो इसे खुरे हाथं
रुिाती है, रेककन िेर् आठ-नौ भहीने नजयं से ही ओझर हो जाती है।
अबी वऩछरे हदनं उ्च-वमामारम का एक झकझोयने िारा ननणषम साभने
आमा। वमामारम ने पै सरा सुनामा कक किके ि भैच नहीॊ कयिाए जाना चाहहए,
तमंकक इनके आमोजन के र्रए भैदान तैमाय कयने भं फहत सा जर ्मथष चरा
ु
जाता है। मह उस नगय का कक्सा है, जहाॉ भानसून के हदनं भं स़कं ऩय नाि
चराई जा सकती है। महद उस जर को उस सभम सॊगचत कय र्रमा जामे तो ऐसी
छोिी छोिी फातं के र्रए वमामारम की ियण भं न जाना ऩ़े। ऩानी का एक
वििेर् भकसद के र्रए उऩमोग न कयने के फाये भं तो चचाष हई। रेककन रेककन
ु
ऐसा नहीॊ रगता कक ऩानी के सॊचम की फात ऩय विचाय हआ। होरी ऩय वऩचकायी
ु
न चराने की सराह देने िारे 'अनत फुवधॎधजीविमं' से तो अि्म ककसी ना ककसी ूऩ
भं आऩ की बंि हई होगी। ऐसे कक्से जर सॊयऺण के र्रए विविध सुझाि हो
ु
सकते है, ऩयवतु ककसी बी ूऩ भं ऩेम जर की सभ्मा का सभाधान नहीॊ हं। असर
भं मह अऩने आऩ भं एक तॊग नजरयमा है, कक तीज ्मौहायं ऩय ऩानी भत खचष
कयो, खेर के भैदान भं ऩानी भत फहाओ इ्माहद। खेर-क ू द, तीज-्मौहाय जीिन के
योभाॊच को फढाते हं। हभ सभाज भं, ऩरयिायं भं योजभयाष की ्जवदगी भं देखते हं,
कक सॊसाधनं का उऩमोग आि्मकताओॊ के अनुूऩ ककमा जाता है। छािं के र्रए
भहॉगी पीस का इॊतजाभ ककमा जाता है, जफकक सभ्त ऩरयिाय ऩुयाने ि्ि ऩहनकय
काभ चरता है। खखराड़मं के र्रए ऩौ्टिक बोजन, फीभायं के र्रए दिा औय ऩथम
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फहत फ़ा दिषन काभ नहीॊ कयता है। फस िही साधायण सी फुवधॎधभ्ता, कक सभम
ु
ऩय चीजं का सॊरह कय रं, ताकक आि्मकता के सभम िे सुरब हो सक ं । जफ
पसर आती है, घय भं अवन आता है, िर्ष बय के उऩमोग के र्रए उसका सॊरह कय
र्रमा जाता है। भहीने के आखखयी हदन तन्िाह आती है। उसे सभूचे भहीने के
खचष के र्रए सम्बार कय यख र्रमा जाता है। हभ सफ जानते हं, की हभं जर के
र्रए रक र नत ऩय ननबषय यहना ऩ़ता है। िह तीन-चाय भहीने तो इसे खुरे हाथं
रुिाती है, रेककन िेर् आठ-नौ भहीने नजयं से ही ओझर हो जाती है।
अबी वऩछरे हदनं उ्च-वमामारम का एक झकझोयने िारा ननणषम साभने
आमा। वमामारम ने पै सरा सुनामा कक किके ि भैच नहीॊ कयिाए जाना चाहहए,
तमंकक इनके आमोजन के र्रए भैदान तैमाय कयने भं फहत सा जर ्मथष चरा
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जाता है। मह उस नगय का कक्सा है, जहाॉ भानसून के हदनं भं स़कं ऩय नाि
चराई जा सकती है। महद उस जर को उस सभम सॊगचत कय र्रमा जामे तो ऐसी
छोिी छोिी फातं के र्रए वमामारम की ियण भं न जाना ऩ़े। ऩानी का एक
वििेर् भकसद के र्रए उऩमोग न कयने के फाये भं तो चचाष हई। रेककन रेककन
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ऐसा नहीॊ रगता कक ऩानी के सॊचम की फात ऩय विचाय हआ। होरी ऩय वऩचकायी
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न चराने की सराह देने िारे 'अनत फुवधॎधजीविमं' से तो अि्म ककसी ना ककसी ूऩ
भं आऩ की बंि हई होगी। ऐसे कक्से जर सॊयऺण के र्रए विविध सुझाि हो
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सकते है, ऩयवतु ककसी बी ूऩ भं ऩेम जर की सभ्मा का सभाधान नहीॊ हं। असर
भं मह अऩने आऩ भं एक तॊग नजरयमा है, कक तीज ्मौहायं ऩय ऩानी भत खचष
कयो, खेर के भैदान भं ऩानी भत फहाओ इ्माहद। खेर-क ू द, तीज-्मौहाय जीिन के
योभाॊच को फढाते हं। हभ सभाज भं, ऩरयिायं भं योजभयाष की ्जवदगी भं देखते हं,
कक सॊसाधनं का उऩमोग आि्मकताओॊ के अनुूऩ ककमा जाता है। छािं के र्रए
भहॉगी पीस का इॊतजाभ ककमा जाता है, जफकक सभ्त ऩरयिाय ऩुयाने ि्ि ऩहनकय
काभ चरता है। खखराड़मं के र्रए ऩौ्टिक बोजन, फीभायं के र्रए दिा औय ऩथम
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