Page 61 - kaushal
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ऩय कोई ऊॉ गरी नहीॊ उठाता। मही फात महाॉ बी है। सभम की भाॊग है कक सॊसाधनं
को सहेज कय यखा जाए, तथा सभमानुसाय उऩमोग ककमा जाए। अगय भुम्फई मा
ऐसे ही अनेकं अनतिर्टि िारे नगयं भं िर्ाष के सभम स़कं के या्ते फहकय
सागय भं र्भर जाने िारे मा गवदे नारे भं सभा जाने िारे, जर का सभुगचत सॊरह
कय र्रमा जाए तो भयाठिा़ा का जर सॊकि हर हो जामे। महद ककसी जरयए रफहाय
की फाढ के जर को सही हदिा भं भो़ हदमा जाए, तो याज्थान की प्मास फुझ
सकती है। अगय हभ अऩने देि को इतकीसिीॊ सदी का आधुननक देि फनाना
चाहते हं, तो मे सफ कामष कयने हंगे। मे आकाि क ु सुभ नहीॊ हं। हभाये देि भं जर
सॊसाधनं का अबाि नहीॊ है, र्न उनके वििेकऩूणष इ्तेभार का है।
महाॊ ककसी बी सूयत भं मह ना सभझ र्रमा जामे कक भं ककसी बी ूऩ भं
जर सॊयऺण का हाभी नहीॊ हॊ। जर सॊयऺण जीिन-िैरी का ही एक अॊग होना
ू
चाहहए। उसे इतका-दुतका गनतविगधमं के खोर भं रऩेि कय, सीर्भत कयना सयासय
नादानी है। रेककन िह विर्म अरग है। होरी ऩय ऩानी ना खयचने की सराह देने
िारं से भं इतना ही ननिेदन कूॊ गा की अऩने घय के ढीरे नरं को कसिा
रं। एक एक फूॊद कयके एक ढीरे नर से औसतन एक हदन भं एक फाकिी जर फह
जाता है। अगय इस साधायण फफाषदी को योक हदमा जामे तो एक घय से सार भं
हजायं रीिय जर का सॊयऺण ककमा जा सकता है। वऩछरे ऩंतारीस िर्ष भं देि की
जन सॊ्मा दुगनी से बी अगधक हो गई है। इसका दफाि मकीनन जर सॊसाधनं
ऩय बी ऩ़ना ही था। औय ऩ़ा बी। नतीजा मह है, कक आज नैनीतार र्सक ु ़ गमा
है, डर झीर र्सक ु ़ गई। कापी हदन के फाद भं वऩछरे िर्ष फ़खर झीर देखने
गमा। भेये दोनं फेिे भेये साथ थे। आज फ़खर झीर भं एक फूॊद ऩानी नहीॊ है।
देख कय भं बािुक हो गमा। हभ जफ बी ऩहरे फ़खर आते थे, झीर भं नौका
विहाय कयते थे। आज फ़खर भं फ्चे किके ि खेरते है। भेये फ्चे बी दौ़कय
किके ि खेरने िारं भं िार्भर हो गए। सोगचमे, हभ आने िारी ऩीढमं के र्रए
कै सी दुननमाॊ छो़ना चाहते हं। जरािमं के इस रकाय धीये धीये र्भिने का कायण
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को सहेज कय यखा जाए, तथा सभमानुसाय उऩमोग ककमा जाए। अगय भुम्फई मा
ऐसे ही अनेकं अनतिर्टि िारे नगयं भं िर्ाष के सभम स़कं के या्ते फहकय
सागय भं र्भर जाने िारे मा गवदे नारे भं सभा जाने िारे, जर का सभुगचत सॊरह
कय र्रमा जाए तो भयाठिा़ा का जर सॊकि हर हो जामे। महद ककसी जरयए रफहाय
की फाढ के जर को सही हदिा भं भो़ हदमा जाए, तो याज्थान की प्मास फुझ
सकती है। अगय हभ अऩने देि को इतकीसिीॊ सदी का आधुननक देि फनाना
चाहते हं, तो मे सफ कामष कयने हंगे। मे आकाि क ु सुभ नहीॊ हं। हभाये देि भं जर
सॊसाधनं का अबाि नहीॊ है, र्न उनके वििेकऩूणष इ्तेभार का है।
महाॊ ककसी बी सूयत भं मह ना सभझ र्रमा जामे कक भं ककसी बी ूऩ भं
जर सॊयऺण का हाभी नहीॊ हॊ। जर सॊयऺण जीिन-िैरी का ही एक अॊग होना
ू
चाहहए। उसे इतका-दुतका गनतविगधमं के खोर भं रऩेि कय, सीर्भत कयना सयासय
नादानी है। रेककन िह विर्म अरग है। होरी ऩय ऩानी ना खयचने की सराह देने
िारं से भं इतना ही ननिेदन कूॊ गा की अऩने घय के ढीरे नरं को कसिा
रं। एक एक फूॊद कयके एक ढीरे नर से औसतन एक हदन भं एक फाकिी जर फह
जाता है। अगय इस साधायण फफाषदी को योक हदमा जामे तो एक घय से सार भं
हजायं रीिय जर का सॊयऺण ककमा जा सकता है। वऩछरे ऩंतारीस िर्ष भं देि की
जन सॊ्मा दुगनी से बी अगधक हो गई है। इसका दफाि मकीनन जर सॊसाधनं
ऩय बी ऩ़ना ही था। औय ऩ़ा बी। नतीजा मह है, कक आज नैनीतार र्सक ु ़ गमा
है, डर झीर र्सक ु ़ गई। कापी हदन के फाद भं वऩछरे िर्ष फ़खर झीर देखने
गमा। भेये दोनं फेिे भेये साथ थे। आज फ़खर झीर भं एक फूॊद ऩानी नहीॊ है।
देख कय भं बािुक हो गमा। हभ जफ बी ऩहरे फ़खर आते थे, झीर भं नौका
विहाय कयते थे। आज फ़खर भं फ्चे किके ि खेरते है। भेये फ्चे बी दौ़कय
किके ि खेरने िारं भं िार्भर हो गए। सोगचमे, हभ आने िारी ऩीढमं के र्रए
कै सी दुननमाॊ छो़ना चाहते हं। जरािमं के इस रकाय धीये धीये र्भिने का कायण
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