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है कक इनके जर रहण क ं रं ऩय इॊसान ने अनतिभण ककमा है। चेवनई की फाढ,

क्भीय का सैराफ ऩुन: मह दिाषते हं कक देि भं जर सॊसाधनं की कभी नहीॊ है।


उवहं सभुगचत ूऩ से सहेज कय यखने औय वििेकऩूणष इ्तेभार की आि्मकता है।

अफ नई रौ्मोगगकी की योिनी भं बूर्भगत जर ब्डायं की बयऩाई की जा सकती

है। बायत के ऩास रम्फी सभुर तिीम येखा है। सभुर ति ऩय अनेकं वििार एिॊ


भह्िऩूणष नगय फसे हं। सागय के जर को रयिसष ओसभोर्सस विगध से ऩेम जर भं

फदरा जा सकता है। मह विगध अबी सहज सुरब नहीॊ है, कपय बी एक भागष


रि्त कयती है। जो रोग भहीनं सागय भं रफताते हं, िे ऩीने के र्सिाम अवम

अगधकतय काभं भं सागय का उऩचारयत जर ्मिहाय भं राते हं। इसर्रए आज

आि्मकता जर की कभी के नाभ ऩय बमबीत होने की नहीॊ है, फ्कक सभ्मा को


सही ूऩ भं ऩहचानकय तदनुसाय उसका हर सोचने का जूयत है।



याजककशन व्स


अवय सचचव (एवीडी–I/सी)




























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