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चाहहए कक हभं ितषभान भं जीना चाहहए, खुि यहना चाहहए। इसीर्रए कहा गमा

है:-



गते शोको न कति् मं बवव् मॊ नैव चच् तमेत।

वतिभानेन कारेन वतिमज्त ववचऺणा:।।



बूतकार से सीख रेने के अरािा हभाये ऩास क ु छ बी नहीॊ है। िोक कयने से

तो हभ विऩयीत ऩरय््थनतमं का र्िकाय हो सकते हं, जैसे ् िमॊ ऩय अगधक िोध


आना, खुद को मा दूसयं को नुकसान ऩहॉचाना, आिेि भं आना, भानर्सक सॊतुरन

रफग़ना, गचॊनतत यहना, अिसाद का र्िकाय होना, बूरत क़ हो जाना। इन सफके

अरािा, बविट म की गचॊता कयके बी हभ अऩने ितषभान को खयाफ कयने के र्सिा


औय क ु छ नहीॊ कय सकते।

सभम फीतते देय नहीॊ रगती औय हभ सोच भं ऩ़े यहते हं कक त मा कयं औय

त मा न कयं। अगय कोई गरती हो बी जाती है तो उसे सुधायना चाहहए ना कक

ऩ् चाताऩ कयना चाहहए। इस तयह से न के िर खुद को खुि यखंगे फ्कक दूसयं

को बी। मे ितषभान खुिी ही ्जॊदगी को सकाया् भक सोच िारी फनाने भं भदद

कयेगी औय हभं क ु छ अरग मा वििेर् कयने की आि् मकता बी नहीॊ होगी। भदय

िेयेसा ने कहा था - Yesterday is gone, Tomorrow has not yet come, We have

only today Let us begin…… तो चर्रए हभ आगे फढते हं, जो है आज है, आज के

र्सिाम क ु छ नहीॊ।


महाॉ अऩनी क ु छ ऩॊ्ततमाॉ उधॎधरत कयना चाहॉगा (् वयचचत):



अतीत भं तू भत हो ् भृत सा,

बवव् म को बी तू भत कय सॊर् न सा,


है नसीफ सफका अरग-अरग सा,

औय कभि बी जुदा-जुदा सा,




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