Page 63 - kaushal
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फीती तादह त्रफसाय दे आगे की सुचध रेम
ककसी ने ठीक ही कहा है - कोई इतना अभीय नहीॊ कक अऩना ऩुयाना व् त
खयीद सके । औय कोई इतना गयीफ नहीॊ कक अऩना आनेवारा व् त न फदर सके ।
हभ भं फुवधॎध है, वििेक है। इसीर्रए हभ इस धया की सिषश्ेट ठ क र नत हं। ऩय,
कबी-कबी हभ अऩने अतीत भं इस कदय खो जाते हं कक बािनाओॊ की धाया भं
फहकय अऩना िजूद ही नट ि कय देते हं। मा, चाय रोग साथ फैठकय त मा अऩनी
फीती (अतीत) सुनाकय सराह-भिविया देने रगते हं कक ऐसा भत कयो, मे कयो मा
मे नहीॊ कयो अथिा हभ ् िमॊ उनकी फीती देख-सुन कय मे ननणषम रेने रगते हं
कक हभं उनके ही नत िे-कदभ ऩय चरना चाहहए तो ऐसा कयके हो सकता है कक
ऩछतािा होने रगे कक अभुक काभ हभं नहीॊ कयना चाहहए था। ऐसी ऩरय््थनत
ठीक उरिी बी हो सकती है कक हभ िो काभ कयं ही नहीॊ औय सोचते कक काि
कयते औय इसी भं उरझकय यह जाते हं। हभं अऩना बविट म औ य ितषभान इस
तयह का फनाना चाहहए कक फीती फातं हभं न सतामं औय अगय माद आमे बी, तो
भानर्सक ूऩ से इतने सफर हं कक उसे बूरकय आगे की सुगध रं। हभं अऩने
आऩ को ककसी के र बाि भं आने से फचने की कोर्िि बी कयनी चाहहए। ककसी ने
ठीक ही कहा है:- Let’s not flow with the flow Let’s be the flow अगय हभ ् िमॊ
को इस ््थनत भं यखते हं तो नन््चत ूऩ से हभ ऩयेिान नहीॊ हंगे त मंकक हभ
अऩने ननणषम रेने के र्रए ् ितॊि होते हं औय रीक से हिकय अऩनी ऩहचान
फनाने भं सपर यहते हं औय महद हभ से कोई गरती हो बी जाती है तो इसका
ठीकया ककसी के भाथे पो़ नहीॊ सकते हं। इसीर्रए होर्िमायी इसी भं है कक हई
ु
गरती को ्िीकाय औय सुधाय कय हभ आगे फढे। त मंकक, ित त के साथ तो हय
चीज फदर जाती है। फचऩन,जिानी औय फुढाऩा।
अतीत अथाषत फीता हआ सभम िोक भनाने के र्रए नहीॊ होता है औय
ु
बविट म गचॊता कयने के र्रए नहीॊ होता है। सफसे फुवधॎधभानी िारी फात तो मह होनी
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ककसी ने ठीक ही कहा है - कोई इतना अभीय नहीॊ कक अऩना ऩुयाना व् त
खयीद सके । औय कोई इतना गयीफ नहीॊ कक अऩना आनेवारा व् त न फदर सके ।
हभ भं फुवधॎध है, वििेक है। इसीर्रए हभ इस धया की सिषश्ेट ठ क र नत हं। ऩय,
कबी-कबी हभ अऩने अतीत भं इस कदय खो जाते हं कक बािनाओॊ की धाया भं
फहकय अऩना िजूद ही नट ि कय देते हं। मा, चाय रोग साथ फैठकय त मा अऩनी
फीती (अतीत) सुनाकय सराह-भिविया देने रगते हं कक ऐसा भत कयो, मे कयो मा
मे नहीॊ कयो अथिा हभ ् िमॊ उनकी फीती देख-सुन कय मे ननणषम रेने रगते हं
कक हभं उनके ही नत िे-कदभ ऩय चरना चाहहए तो ऐसा कयके हो सकता है कक
ऩछतािा होने रगे कक अभुक काभ हभं नहीॊ कयना चाहहए था। ऐसी ऩरय््थनत
ठीक उरिी बी हो सकती है कक हभ िो काभ कयं ही नहीॊ औय सोचते कक काि
कयते औय इसी भं उरझकय यह जाते हं। हभं अऩना बविट म औ य ितषभान इस
तयह का फनाना चाहहए कक फीती फातं हभं न सतामं औय अगय माद आमे बी, तो
भानर्सक ूऩ से इतने सफर हं कक उसे बूरकय आगे की सुगध रं। हभं अऩने
आऩ को ककसी के र बाि भं आने से फचने की कोर्िि बी कयनी चाहहए। ककसी ने
ठीक ही कहा है:- Let’s not flow with the flow Let’s be the flow अगय हभ ् िमॊ
को इस ््थनत भं यखते हं तो नन््चत ूऩ से हभ ऩयेिान नहीॊ हंगे त मंकक हभ
अऩने ननणषम रेने के र्रए ् ितॊि होते हं औय रीक से हिकय अऩनी ऩहचान
फनाने भं सपर यहते हं औय महद हभ से कोई गरती हो बी जाती है तो इसका
ठीकया ककसी के भाथे पो़ नहीॊ सकते हं। इसीर्रए होर्िमायी इसी भं है कक हई
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गरती को ्िीकाय औय सुधाय कय हभ आगे फढे। त मंकक, ित त के साथ तो हय
चीज फदर जाती है। फचऩन,जिानी औय फुढाऩा।
अतीत अथाषत फीता हआ सभम िोक भनाने के र्रए नहीॊ होता है औय
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बविट म गचॊता कयने के र्रए नहीॊ होता है। सफसे फुवधॎधभानी िारी फात तो मह होनी
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