Page 70 - kaushal
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फना देते हं। हभं बी तो एक-न-एक हदन जाना है। कपय त मं, कबी-कबी हभ

अ् मगधक आिाभक बी हो जाते हं औय कपय नुकसान कय फैठते हं। कयने िारे तो


कय देते हं। ऩय, इसका विऩयीत असय हभ से ् मादा हभाये साथ यहने िारे रोगं

ऩय होता है, जो हभं प् माय कयते हं, ् नेह देते हं। इस ््थनत भं ननम् न फातं ही हो

सकती हं मा तो िे हभाये ्जॊदगी को बी नकाया् भक यिैमे िारा फना देते हं मा िे


रोग ही हभं नकाया् भक सोच िारा सभझकय हभाया साथ छो़ देते हं मा हभं

कठोय से कठोय सजा देते हं, महद इस तयह के क र ् म के ्जम् भेदाय हभ हं। कक ऩना


की्जमे जफ आऩ रफक क ु र अके रे हो जाते हं तो आऩ ऩय त मा फीतेगी। बी़ भं

अऩने साथ यहने िारे रोगं के साथ होते हए बी आऩ ् िमॊ को अके रा सभझते

हं। मह ््थनत सचभुच दमनीम होती है। त मा आऩ चाहंगे कक आऩ कबी इस


््थनत से गुजये, नहीॊ ना। तो जो होगमा सो हो गमा, उसे ्जॊदगी का ऩरयितषन

सभझकय ् िीकाय कयं। मह ठीक उसी तयह है जैसे उ् थान औय ऩतन, एक आमेगा


तो दूसया जामेगा। इसी तयह हभ अगय फीती फातं को बूर जामंगे तो नूतन विचाय

हभाये भन भं ् ित: ही ् थान रंगे। ककसी ने ठीक ही कहा है:-

् वचा तुम् हायी बोय स यीखी


है भेयी क् तूयी सी,

एक यॊग आदद का है तो

एक सुननज्चत अॊत का,


औय दूसया, अॊत हो जैसे

असॊदद् ध आयम् ब का।


जो होता है अ् छे के र्रए होता है। अगय अिसान है तो नि-नूतन आयम् ब

रकािभम उजारा बी है। ऐसा सोचकय हभ हभेिा सकाया् भक फने यहंगे। महद हभ

फीती फातं को माद कय के अऩनी जान बी दे दंगे तो बी फीते हए सभम को


िाऩस नहीॊ रा सकते। मह कोई िीडडमो मा ऑडडमो का प् रेफैक नहीॊ है ्जसे






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