Page 71 - kaushal
P. 71
रयभाॊइड कयने ऩय ऩुन: देखा मा सुना जा सके औय आि् मकतानुसाय सुधाया जा

सके । अत:फीती तादह त्रफसाय दे आगे की सुचध रेम।




सॊतोष क ु भाय

वरय् ठ सहामक,


इसयो भु् मारम, फंगरूय




दानॊ बोगो नाश् नत्रो गतमो बवज्त ववत्म।

मो न ददानत न बुड्ते त्म तृतीमा गनतनािश्।



धन की तीन गनत होती है दान, बोग औय नाि। धन का बोग मा दान न कयने


िारे ्म्तत के धन की तीसयी गनत (नाि) होती है।


अ्मामोऩाजजितॊ र्मॊ दशवषािणण नत्ठानत।

रा्ते एकादश वषे सभूरॊ एवॊ ववन्मनत।


अवमाम से कभामा गमा धन अगधक से अगधक दस िर्ष दस यहता है। इसके

उऩयाॊत िह नटि हो जाता है।

अदहॊसक्म दा्त्म धभािजजित धन्म।


सविदा ननमभ्म्म सानुरहारहा् सदा।



अहहॊसक, दानदाता, उगचत यीनत से धन कभाने िारे औय सिषदा ननमभं का ऩारन

कयने िारे ्म्तत ऩय रह-अनुरह कयते हं।












54
   66   67   68   69   70   71   72   73   74   75   76