Page 72 - kaushal
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बायतीम ् मोहायं का साभाजजक औय वैऻाननक ऩऺ
बायत भं भनाए जाने िारे ् मोहायं की सॊ् मा इतनी अगधक है कक इस
सॊफॊध भं एक कहाित रचर्रत है ‘‘महाॊ सात िाय औय नौ ् मोहाय होते हं।‘’ जफ मे
् मोहाय ऩरयिाय के ् तय ऩय मानी छोिे ् तय ऩय भनाए जाते हं तो ् मोहाय कहराते
हं ऩयॊतु जफ ् माऩक ् तय ऩय भनाए जाते हं तो उ् सि का ूऩ रे रेते है। मह
उ् सिधर्भषता ही बायतीम सॊ् क र नत की विर्िट ि ऩहचान है। अनेक कायणं भं से मह
बी एक कायण है कक बायतीम सॊ् क र नत की धाया अवि्् छव न फनी यही है। बायतीम
सभ् मता औय सॊ् क र नत ऩाॊच हजाय िर्ष ऩुयानी है। इसकी सभकारीन मूनान,
भेसोऩोिार्भमा औय र्भ् ि आहद की सॊ् क र नतमाॊ सभाप् त हो गं। इस सॊफॊध भं
भोहम् भद इकफार का िेय ृट ि् म है;
ईयान र्भस्र योभा सफ र्भि गए जहाॊ से
फाकी भगय है अफ तक नाभोननिाॊ हभाया,
क ु छ फात है कक ह् ती र्भिती नहीॊ हभायी
सहदमं यहा है दु् भन दौये जहाॊ हभाया,
मह ऐनतहार्सक तथ म है कक बायत ऩय विदेिी आिभण होते यहे हं। िक,
हण, क ु र्ाण, सीगथमन अनेक जानतमाॊ महाॊ आिभणकायी के ूऩ भं आई ऩयॊतु िे
ू
बायतीम सॊ् क र नत भं इस रकाय ननभा्् जत हो गं कक आज उनका कहीॊ अता-ऩता
नहीॊ है। फ्् तमाय खखरजी ्जसे ‘कारा ऩहा़’ बी कहा जाता था, ने नारॊदा
वि् िवि्मारम भं आग रगा दी थी ्जससे छह भाह तक ऩु् तक ं जरती यहीॊ ऩयॊतु
हभाया साहह् म सॊसाय ऩूिषित सभरधॎध फना हआ है। हभायी सॊ् क र नत की अव तननषहहत
ु
ि्त त ही थी ्जससे मह अऺु् ण फनी यही। इस सॊ् क र नत की धाया को अवि्् छव न
फनाए यखने भं अव म फातं के साथ-साथ अनेक ् मोहायं का बी मोगदान यहा है।
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बायत भं भनाए जाने िारे ् मोहायं की सॊ् मा इतनी अगधक है कक इस
सॊफॊध भं एक कहाित रचर्रत है ‘‘महाॊ सात िाय औय नौ ् मोहाय होते हं।‘’ जफ मे
् मोहाय ऩरयिाय के ् तय ऩय मानी छोिे ् तय ऩय भनाए जाते हं तो ् मोहाय कहराते
हं ऩयॊतु जफ ् माऩक ् तय ऩय भनाए जाते हं तो उ् सि का ूऩ रे रेते है। मह
उ् सिधर्भषता ही बायतीम सॊ् क र नत की विर्िट ि ऩहचान है। अनेक कायणं भं से मह
बी एक कायण है कक बायतीम सॊ् क र नत की धाया अवि्् छव न फनी यही है। बायतीम
सभ् मता औय सॊ् क र नत ऩाॊच हजाय िर्ष ऩुयानी है। इसकी सभकारीन मूनान,
भेसोऩोिार्भमा औय र्भ् ि आहद की सॊ् क र नतमाॊ सभाप् त हो गं। इस सॊफॊध भं
भोहम् भद इकफार का िेय ृट ि् म है;
ईयान र्भस्र योभा सफ र्भि गए जहाॊ से
फाकी भगय है अफ तक नाभोननिाॊ हभाया,
क ु छ फात है कक ह् ती र्भिती नहीॊ हभायी
सहदमं यहा है दु् भन दौये जहाॊ हभाया,
मह ऐनतहार्सक तथ म है कक बायत ऩय विदेिी आिभण होते यहे हं। िक,
हण, क ु र्ाण, सीगथमन अनेक जानतमाॊ महाॊ आिभणकायी के ूऩ भं आई ऩयॊतु िे
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बायतीम सॊ् क र नत भं इस रकाय ननभा्् जत हो गं कक आज उनका कहीॊ अता-ऩता
नहीॊ है। फ्् तमाय खखरजी ्जसे ‘कारा ऩहा़’ बी कहा जाता था, ने नारॊदा
वि् िवि्मारम भं आग रगा दी थी ्जससे छह भाह तक ऩु् तक ं जरती यहीॊ ऩयॊतु
हभाया साहह् म सॊसाय ऩूिषित सभरधॎध फना हआ है। हभायी सॊ् क र नत की अव तननषहहत
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ि्त त ही थी ्जससे मह अऺु् ण फनी यही। इस सॊ् क र नत की धाया को अवि्् छव न
फनाए यखने भं अव म फातं के साथ-साथ अनेक ् मोहायं का बी मोगदान यहा है।
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